राष्ट्रीय राजधानी में तीन नये केंद्रीय कृषि कानूनों में एक के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद वाकयुद्ध शुरू होने के साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बुधवार को दिल्ली के अपने समकक्ष अरविन्द केजरीवाल ‘डरपोक व्यक्ति’ करार दिया. एक दिन पहले सिंह ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेता की दिल्ली में 23 नवंबर को जारी की गयी अधिसूचना को लेकर आलोचना की थी और आप पर किसानों का समर्थन करने का ‘दिखावा करने’ का आरोप लगाया था.
बुधवार को दिल्ली में केजरीवाल ने प्रेस ब्रीफिंग में पलटवार किया. लेकिन उसके बाद चंडीगढ़ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिंह ने एक दूसरा बयान जारी किया. केजरीवाल की आप कांग्रेस शासित पंजाब में मुख्य विपक्षी दल है, जहां के किसान केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर बड़ी संख्या में डेरा डाले हुए हैं. सिंह ने केजरीवाल के इस कथन को बकवास करार दिया कि राज्य केंद्रीय कानून के खिलाफ ‘असहाय’ हैं और कहा कि यह स्पष्ट है कि आप नेता इन ‘कठोर’ कानूनों के खिलाफ संघर्ष भी नहीं करना चाहते हैं.
उन्होंने केजरीवाल पर तीन में से एक कानून के लिए अधिसूचना जारी करके किसानों के संघर्ष को ‘कमजोर’ करने का आरोप लगाया और याद दिलाया कि पंजाब विधानसभा ने इन कानूनों को निष्प्रभावी बनाने की कोशिश के तहत अपने विधेयक पारित किये हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘डरकर केंद्रीय कानूनों की अधिसूचना जारी करने के बजाय केजरीवाल उनका मुकाबला करने के लिए कोशिश कर सकते थे और किसानों के अधिकारों की रक्षा कर सकते थे.’’
उन्होंने आरोप लगाया कि यह स्पष्ट हो गया है कि यह ‘डरपोक व्यक्ति’, जिसका दोहरा मापदंड बार-बार बेनकाब हो गया, अब इस मुद्दे पर पूरी तरह घिर गया है. इससे पहले अपनी ब्रीफिंग में केजरीवाल ने सिंह पर ‘गंदी राजनीति’ करने का आरोप लगाया था और कहा था कि वह केंद्रीय एजेंसियों के दबाव में हैं. केजरीवाल ने कहा था, ‘‘ मैं कैप्टन साहब से पूछना चाहता हूं कि क्या आप इन्हीं लोगों के दबाव में हैं जिसकी वजह से आप मेरे खिलाफ आरोप लगा रहे हैं और मुझे गालियां दे रहे हैं. मुझे पता है कि शायद कारण हो सकता है कि आपके परिवार पर मामले लगाए गए हैं और ईडी से नोटिस मिल रहे हैं.’’
उन्होंने कहा था कि तीनों कृषि कानून राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से देशभर में लागू हुए और राज्य सरकार उन्हें नहीं रोक सकती. केजरीवाल ने कहा था, ‘‘यदि इन कानूनों का क्रियान्वयन राज्यों पर निर्भर था तो देशभर से किसान केंद्र से बात करने और अपनी मांग रखने के लिए दिल्ली क्यों आते? वे अपने अपने मुख्यमंत्रियों के सामने ही अपनी मांग रख देते. ’’ केजरीवाल ने कहा था, ‘‘कैप्टन साहब के पास कृषि कानूनों को रोकने के कई अवसर थे. इन विधेयकों को बनाने वाली और उन पर चर्चा करने वाली केंद्र सरकार की समिति का सदस्य होने के नाते उन्होंने इन विधेयकों के विरूद्ध कदम क्यों नहीं उठाया.’’
Source : Bhasha