पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव हैं. लेकिन कांग्रेस के अंदर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को लेकर बगावत के सुर छिड़ गए हैं. कांग्रेस आलाकमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच खाई को पाटने की कोशिश की है. लेकिन ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है. यहां तक की कैप्टन के मंत्री भी उनके खिलाफ हो गए हैं. पंजाब कांग्रेस के प्रभारी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत के बिगुल फूंकने वाले मंत्री और विधायक मुलाकात करेंगे.
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जानकारी की मानें तो बागी मंत्रियों में तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी शामिल हैं. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो हरीश रावत से मिलकर चारों कैबिनेट मंत्री और कुछ विधायक सीधे दिल्ली पहुंचेंगे. कांग्रेस महासचिव परगट सिंह चंडीगढ़ देव भी दिल्ली जाएंगे. बताया जा रहा है कि कैप्टन के खिलाफ बगावत करने वाले सारे नेता कांग्रेस हाईकमान से नेतृत्व परिवर्तन की मांग करेंगे. कांग्रेस आलाकमान के लिए अब चुनौती दोतरफा है. उसे बीजेपी से तो निपटना ही है साथ ही अपने घर में मचे घमासान को भी संभालना है.
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इससे पहले बाजवा के घर मंगलवार को कैप्टन से नाराज गुट की बैठक हुई. बैठक में तय हुआ कि टीम कांग्रेस को अगर अगला चुनाव जीतना है तो कैप्टन को बदलना ही होगा. दावा ये भी किया गया कि चार मंत्रियों के साथ 24 विधायक भी शामिल हैं. हालांकि बैठक में शामिल 7 विधायकों ने कैप्टन को पद से हटाने की बात को सिरे से खारिज कर दिया. वहीं तृप्त बाजवा के तेवरों ने साफ कर दिया कि बगावत की धुरी बदलाव ही है. कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने की मांग के पीछे बाजवा गुट की दलील ये है कि 2015 में धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी के मामलों में न्याय में देरी हो रही है. नशे के रैकेट में शामिल बड़े लोगों को पकड़ना बाकी है और बिजली खरीद समझौतों को रद्द करना जरूरी है.