संसद के मॉनसून सत्र में प्रश्नकाल रद्द करने को लेकर विपक्ष के हमले और आलोचना के बीच सरकार ने अपना फैसला बदल लिया है. अब सरकार ने सीमित संख्या में प्रश्नकाल रखने का फैसला किया है. संसदीय मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा है कि सरकार चर्चा से भाग नहीं रही है और विपक्षी दलों को इसके बारे में पहले ही बता दिया था. हांलकि जोशी कहा है कि उन्होंने लोकसभा के स्पीकर से अनुरोध किया गया है कि सत्र के दौरान सांसदों को अतारांकित प्रश्न की अनुमति दी जाए. यह वो सवाल होते हैं जिसका मंत्री लिखित में जवाब देते हैं. आपको बता दें कि संसद का मॉनसन सत्र 14 सितंबर से शुरू हो रहा है.
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मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा, हम किसी भी चर्चा से पीछे नहीं भाग रहे हैं और हम उन सभी मुद्दों और विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं जिसका फैसला कार्यमंत्रणा समिति में लिया जाएगा. जोशी ने कहा कि मानसून सत्र कोरोना महामारी संकट के बीच में हो रहा है. उन्होंने कहा कि अगर प्रश्नकाल होता है तो मंत्रालयों के अधिकारियों को संसद में आना होगा और इससे भीड़ हो सकती है. मंत्री ने कहा कि इसलिए सदस्यों की सुरक्षा के लिए मानसून सत्र के दौरान कोई प्रश्नकाल नहीं रखा गया था. उन्होंने कहा कि सत्र के लिए अधिसूचना जारी होने से पहले सरकार ने सभी विपक्षी दलों से संपर्क किया था और उनमें से अधिकांश सत्र के दौरान प्रश्नकाल आयोजित नहीं करने पर सहमत थे.
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कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और भाकपा समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रश्नकाल निलबिंत करने के फैसले की आलोचना की है. सात ही सरकार पर आरोप लगाया है. सरकार कोविड-19 महामारी के नाम पर लोकतंत्र की हत्या कर रही है. विपक्षी पार्टियों ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार सवाल पूछने के सांसदों के अधिकारों से उन्हें वंचित करना चाहती है. सरकार नहीं चाहती की कोरोना संकट और अर्थव्यवस्था पर विपक्ष जवाब मांगें.
Source : News Nation Bureau