महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं की मॉब लिंचिंग (Palghar Mob Lynching Case) को लेकर उद्धव ठाकरे (Udhav Thackeray) की सरकार घिरती नजर आ रही है. साधु-संतों ने जूना अखाड़ा से जुड़े नागा साधुओं से लॉकडाउन (Lockdown) के बाद महाराष्ट्र कूच करने की अपील कर दी है. बीजेपी लगातार उद्धव ठाकरे की सरकार पर हमलावर है तो वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने उद्धव ठाकरे से बात की है. अमित शाह ने पूरी घटना को लेकर रिपोर्ट तलब कर ली है. फिर भी इस मामले में उद्धव ठाकरे की सरकार की ओर से लीपापोती किए जाने को लेकर आरोप लग रहे हैं. साथ ही कुछ सवाल भी खड़े हो रहे हैं, जिसका जवाब अभी वहां की सरकार के पास नहीं है.
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उठे सवाल
- भीड़ हिंसक थी तो पुलिस संतों को बाहर क्यों लाई?
- पुलिस ने संतों को बचाने की कोशिश क्यों नहीं की?
- अब तक किसी बड़े अफसर की जिम्मेदारी फिक्स क्यों नहीं की गई?
- 70 साल के बुजुर्ग को कोई चोर कैसे समझ सकता है? वो भी संत के लिवास में होते हुए.
- क्या मामले पर लीपापोती करने की कोशिश हो रही है?
- क्या बड़ी साजिश पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है ?
- पालघर में लॉकडाउन का उल्लंघन हुआ, इस पर क्या कार्रवाई हुई?
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कार्रवाई के नाम पर
- चार दिन में सिर्फ दो पुलिसकर्मी सस्पेंड हुए
- किसी भी बड़े अफसर की जवाबदेही तय नहीं हुई
- मौके पर पुलिसफोर्स न पहुंचने के बहाने गढ़े गए
- पालघर में भीड़ कैसे आई, इसका कोई जवाब नहीं
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क्या कह रहे सीएम उद्धव ठाकरे
- संतों की हत्या को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है, जो गलत है.
- हमारी सरकार दोषियों पर कार्रवाई नहीं कर रही, ऐसा बिल्कुल नहीं है.
- 100 से ज्यादा लोगों को अभी तक गिरफ्तार किया जा चुका है.
- साधुओं को केंद्र शासित प्रदेश दादरा नगर हवेली में ही रोक लिया गया होता तो घटना नहीं होती.
- सरकार ने दो पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया है. डीजी सीआईडी क्राइम मामले की जांच कर रहे हैं.
Source : News Nation Bureau