राफेल डील पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान के बाद केंद्र सरकार विपक्ष हमलावार हो गया है। कांग्रेस के बाद अब दिल्ली में शासित आम आदमी पार्टी सरकार ने राफेल डील को लेकर रिलायंस को दिए गए सौदे पर सवाल उठाए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को मांग की कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान पर NDA सरकार को सामने आकर सफाई देनी चाहिए.
अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘राफेल सौदे पर अहम तथ्यों को छिपाकर क्या मोदी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में नहीं डाल रही है? मोदी सरकार अब तक जो कहती आ रही है, पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति का बयान बिल्कुल उसके उलट है.’
उन्होंने सवालिया अंदाज में पूछा कि क्या देश को और धोखा दिया जा सकता है.’
By hiding crucial facts on Rafale deal, is Modi govt not endangering national security ?
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 21, 2018
Former French President's statement directly contradicts what Modi govt had been saying so far.
Can the country be taken for a ride any further ?
गौरतलब है कि एक फ्रांसीसी वेबसाइट ने एक लेख में ओलांद के हवाले से कहा था कि भारत सरकार ने फ्रांस सरकार से रिलायंस डिफेंस को इस सौदे के लिए भारतीय साझीदार के रूप में नामित करने के लिए कहा था.
प्रधान मंत्री जी सच बोलिए। देश सच जानना चाहता है। पूरा सच।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 21, 2018
रोज़ भारत सरकार के बयान झूठे साबित हो रहे हैं। लोगों को अब यक़ीन होने लगा है कि कुछ बहुत ही बड़ी गड़बड़ हुई है, वरना भारत सरकार रोज़ एक के बाद एक झूठ क्यों बोलेगी? https://t.co/gR9pWoqgnZ
ओलांद ने कहा था, 'हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। भारत सरकार ने यह नाम (रिलायंस डिफेंस) सुझाया था और दसॉल्ट ने अंबानी से बात की थी.'
अरविंद केजरीवाल ने एक और ट्वीट किया- प्रधानमंत्री जी सच बोलिए. देश सच जानना चाहता है. पूरा सच. रोज़ भारत सरकार के बयान झूठे साबित हो रहे हैं. लोगों को अब यक़ीन होने लगा है कि कुछ बहुत ही बड़ी गड़बड़ हुई है, वरना भारत सरकार रोज़ एक के बाद एक झूठ क्यों बोलेगी?
इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए शुक्रवार रात जारी बयान में कहा गया, 'इस सौदे के लिए भारतीय औद्योगिक साझेदारों को चुनने में फ्रांस सरकार की कोई भूमिका नहीं थी।'
बयान में आगे कहा गया कि भारतीय अधिग्रहण प्रक्रिया के अनुसार, फ्रांस की कंपनी को पूरी छूट है कि वह जिस भी भारतीय साझेदार कंपनी को उपयुक्त समझे उसे चुने, फिर उस ऑफसेट परियोजना की मंजूरी के लिए भारत सरकार के पास भेजे, जिसे वह भारत में अपने स्थानीय साझेदारों के साथ अमल में लाना चाहते हैं ताकि वे इस समझौते की शर्ते पूरी कर सके।
राफेल विमानों के निर्माता दसॉल्ट एविएशन ने भी शुक्रवार रात अपने बयान में कहा कि दसॉल्ट एविएशन ने भारत के रिलायंस ग्रुप के साथ साझीदारी करने का फैसला किया था। यह दसॉल्ट एविएशन का फैसला था।
फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी और 2016 में सौदे पर हस्ताक्षर हुआ था।