2019 लोकसभा चुनावों के मद्देनजर जहां केंद्र सरकार अपने कामों के प्रचार-प्रसार में जुटी हुई है वहीं विपक्ष मुद्दों पर घेरने को तैयार बैठा है। ऐसे में रक्षा सौदों को लेकर हुई राफेल एयरक्राफ्ट डील में विपक्ष लगातार घोटाले का आरोप लगाकर सरकार को घेरने में जुटा है। इस राजनीतिक घमासान में एक नया मोड़ देखने को मिला है। अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस ने सफाई देते हुए कहा है कि उसे कॉन्ट्रैक्ट रक्षा मंत्रालय से नहीं डसॉल्ट से मिला है।
कंपनी ने राफेल डील को लग रहे आरोपों को 'बेबुनियाद और गलत' बताया है। कंपनी ने कहा कि यह आरोप जानबूझकर 'लोगों को गुमराह करने और मुद्दे को भटकाने' के लिए लगाए जा रहे हैं।
रिलायंस डिफेंस लिमिटेड के सीईओ राजेश धींगरा ने कहा कि 36 राफेल फाइटर जेट्स सप्लाई करने वाली कंपनी डसॉल्ट ने रिलायंस डिफेंस को 'ऑफसेट' या एक्सपोर्ट काम के लिए चुना। विदेशी वेंडर के लिए भारतीय पार्टनर चुनने में रक्षा मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं है।
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गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी राफेल सौदे में घोटाले का आरोप लगा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि रिलायंस को फायदा पहुंचाने के लिए HAL को अनदेखा किया गया है।
जहां विपक्ष लगातार रिलायंस डिफेंस के पास अनुभव की कमी का आरोप लगा रहा है वहीं समूह ने इन सभी मुद्दों पर जवाब देते हुए कहा कि दो सरकारों की बीच हुई डील के मुताबिक सभी 36 एयरक्राफ्ट्स की आपूर्ति 'फ्लाई-वे' कंडीशन में होनी है। इसका मतलब यह है कि 'उन्हें फ्रांस से डसॉल्ट के द्वारा निर्यात किया जाएगा' और 'HAL' या अन्य कोई भी प्रॉडक्शन एजेंसी नहीं हो सकती, क्योंकि एयरक्राफ्ट का प्रॉडक्शन भारत में नहीं होना है।
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उन्होंने कहा कि 126 मीडियम मल्टि रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (MMRCA) प्रोग्राम में HAL को प्रॉडक्शन एजेंसी चुना गया था, लेकिन यह कभी कॉन्ट्रैक्ट स्टेज पर नहीं पहुंचा।
Source : News Nation Bureau