राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई. राफेल के दस्तावेज लीक होने पर केंद्र के विशेषाधिकार के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुनवाई के दौरान AG ने कहा, संजीदा दस्तावेजों का प्रकाशन ऑफिस सीक्रेट एक्ट का उल्लंघन है. याचिकाकर्ताओं ने इन्ही दस्तावेजों को आधार बनाया है. AG ने कहा कि कैग रिपोर्ट दायर करने में सरकार से चूक हुई है, उसमें तीन पेज गायब हैं. वो इन पेज को भी रिकॉर्ड पर लाना चाहते हैं. AG ने लीक हुई पेज को रिव्यु पिटीशन को हटाने की मांग की. सरकार का दावा है कि ये प्रिविलेज्ड डॉक्यूमेंट हैं.
जस्टिस सजंय किशन कौल ने सवाल किया- अब किस तरह के प्रिविलेज की बात आप कर रहे हैं, ये दस्तावेज पहले ही कोर्ट में पेश किए जा चुके हैं. इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा- उन्होंने चोरी कर ये डॉक्यूमेंट कोर्ट में पेश किए हैं. अब उनको सुनवाई का आधार न बनाया जाए. नियमों के मुताबिक स्टेट डॉक्यूमेंट बिना ज़रूरी इजाज़त के पब्लिश नहीं किये जा सकते.
जस्टिस जोसेफ ने आरटीआई एक्ट (RTI ACT) का हवाला दिया. कहा- आरटीआई (RTI) एक्ट के सेक्शन 24 के तहत इंटेलीजेंस और सुरक्षा प्रतिष्ठानों को भी करप्शन
और मानवधिकारों के उल्लंघन के बारे में जानकारी देने को बाध्य है. जस्टिस जोसेफ-आरटीआई एक्ट जब 2005 में आया तो ये क्रांति लेकर आया. अब हमें पीछे ( इस कानून के बनने से पहले की स्थिति की ओर) नहीं जाना चाहिए.
प्रशांत भूषण ने दलील देते हुए कहा- जिन दस्तावेजों का हवाला दिया जा रहा है, वो पहले से ही पब्लिक डोमेन में है. सरकार द्वारा सुरक्षा की दुहाई देकर विरोध करने का कोई मतलब नहीं है. प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि समय-समय पर सरकार अपनी फ़्रेंडली मीडिया(ANI का नाम नहीं लिया) को रक्षा मंत्री की फ़ाइल नोटिग्स समेत कई डॉक्यूमेंट को लीक कराती रही है. रक्षा खरीद से जुड़ी सारी डिटेल का पहले ही कैग रिपोर्ट में खुलासा हो चुका है.
प्रशात भूषण ने कोर्ट में आगे कहा कि अब जिन दस्तावेजों पर सरकाक को ऐतराज है वो पहले ही याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश किए केस का हिस्सा रहे है, जब इसको लेकर हमने याचिका दायर की थी.
बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया. राफेल दस्तावेज लीक को लेकर हलफनामे में कहा गया है कि इससे देश की सम्प्रभुता के साथ समझौता हुआ है. इसमें कहा गया कि दस्तावेजों की अनाधिकृत फोटोकॉपी के जरिये की गई चोरी ने देश की सुरक्षा, सम्प्रभुता और दूसरे देशों के साथ दोस्ताना सम्बधों को बुरी तरह प्रभावित किया है. इसमें आगे लिखा गया है कि राफेल मामले में याचिका के जरिये 2 देशों के बीच समझौते की गोपनीय बातें लीक की गईं है.
हलफनामे के मुताबिक रक्षा मंत्रालय 28 फरवरी को इस मामले में आंतरिक जांच का आदेश दे चुका है, जो इन संजीदा दस्तावेजों की फोटोकॉपी के जरिये हो रही लीक की जांच करेगा. लीक हुए दस्तावेजों में से भी सिर्फ चुनिंदा और आधी जानकारी को ही याचिकाकर्ताओं ने पेश किया है, ताकि कोर्ट को गुमराह किया सके.
Source : Arvind SIngh