मणिपुर हिंसा को लेकर राज्यसभा सांसद और आप नेता राघव चड्ढा का बयान सामने आया है. उन्होंने सदन की कार्रवाई को लेकर कहा, संसदीय परंपरा , क़ानून रूल्स यह बताते हैं कि जब भी अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में जमा करवाया जाता है और उसको माननीय स्पीकर के द्वारा स्वीकार किया जाता है. तब कोई भी लॉजिस्टिक बिल सदन के भीतर नहीं लाया जाता उस पर मतदान नहीं किया जाता, जब तक No-कॉन्फिडेंस-मोशन का फ़ैसला नहीं हो जाता. मगर इस बार हम कह रहे हैं कि तमाम रूल्स, कनवेंशन को ताक पर रखते हुए बिल पर बिल लाए जा रहे. यह दुखदाई है और सीधे तौर पर वायलेंशन है.
#WATCH | AAP MP Raghav Chadha, says "No bill is introduced in Parliament after a no-confidence motion is accepted by the Lok Sabha Speaker, but we are seeing that several bills are introduced and passed in Parliament. I appeal to the Speaker that no legislative business should… pic.twitter.com/lC09TH5sEj
— ANI (@ANI) July 28, 2023
राघव चड्ढा ने कहा, मेरी यह अपील केंद्र सरकार से रहेगी कि जब तक No-कॉन्फिडेंस-मोशन का फ़ैसला नहीं हो जाता. तब तक कोई लेजिस्लेटिव बिज़नस ट्रांजिट नहीं होना चाहिए. इंडिया ब्लॉक के साथी राजनैतिक दल अपने प्रतिनिधियों का एक समूह बनाकर पूरे इंडिया ब्लॉक का एक डेलीगेशन मणिपुर जाएगा. इसका उद्देश्य बस इतना ही है कि मणिपुर में जाकर वहां के वस्तु स्थिति क्या है ? उसे देखें और समझे.
मणिपुर के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हों. और वापस आकर संसद के भीतर सरकार को इन सारी चीज़ों के बारे में बताएं की वास्तव में मणिपुर में क्या हो रहा है और मणिपुर क्यों जल रहा है?
विमिंस क्राइम अगेंस्ट चरम पर है
यह चीज मन को बहुत विचलित करती हैं इसीलिए एक दल इंडिया ब्लॉक की ओर से मणिपुर भेजा जा रहा है. जैसे इंग्लिश में कहते हैं कि टू लिटिल टू लेट CBI को जांच सौंपना 80–85 दिन घटना घटी को हो गए यह एक विषय है. पिछले 80–85 दिन से जो मणिपुर में जल रहा है वहां की सरकार क्यों अभी तक बर्खास्त नहीं की गई
भारत के अनुच्छेद 355, 356 का पालन क्यों नहीं किया गया. एक महत्वपूर्ण सवाल मेरे जेहन में आता है मणिपुर एक छोटा राज्य है जिसमें मात्र 2 लोकसभा सीट है. अगर मणिपुर 2 लोकसभा सीट वाला राज्य न होता लेकिन उत्तर प्रदेश जैसा 80 लोकसभा सीटों वाला बड़ा राज्य होता या बिहार जैसा 40 सीटों वाला बड़ा राज्य होता तो क्या अभी तक मणिपुर की सुध लेने के लिए केंद्र सरकार का कोई मंत्री या प्रधानमंत्री जी नहीं गए होते, पहला सवाल जरूर गए होते. अगर मणिपुर में गैर भाजपा राजनीतिक दल की सरकार होती नॉन बीजेपी पॉलिटिकल पार्टी की सरकार होती क्या अभी तक मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू नहीं किया होता ? मेरा दूसरा सवाल था इसका जवाब हां है.
Source : News Nation Bureau