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कारोबारी घरानों को बैंक खोलने की अनुमति देना BAD IDEA है, बोले रघुराम राजन

भारतीय कॉरपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की अनुमति देने की सिफारिश की रघुराम राजन और विरल आचार्य ने आलोचना की है. उन्होंने इस सुझाव को खराब आईडी कहा है.

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nitu pandey
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कारोबारी घरानों को बैंक खोलने की अनुमति देने BAD IDEA हैं( Photo Credit : फाइल फोटो)

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भारतीय कॉरपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की अनुमति देने की सिफारिश की रघुराम राजन और विरल आचार्य ने आलोचना की है. उन्होंने इस सुझाव को खराब आईडी कहा है.भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के इंटर्नल वर्किंग ग्रुप (IWG) ने हाल ही में यह सिफारिश की थी कि कॉरपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की अनुमति दी जाए. बैंकिंग सेक्टर में प्रस्तावि बदलाव के साथ इसकी अनुमति देने की बात कही गई थी. 

दो पूर्व केंद्रीय बैंकरों ने आरबीआई के वर्किंग ग्रुप की सिफारिश की आलोचना करते हुए कहा कि  बैंकिंग क्षेत्र में कॉरपोरेट्स घरानों को अनुमति देने की सिफारिश एक बम जैसा है. उन्होंने कहा है कि उन कनेक्शनों को समझ पाना हमेशा मुश्किल हो जाता है जब ओ औद्योगिक घराने का हिस्सा बनते हैं.

सोमवार को लिंक्डइन पर रघुराम राजन ने एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने इस सिफारिश को 'खराब विचार' बताया. उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट घरानों को बैंक खोलने की अनुमति देने से कुछ खास कारोबारी घरानों के हाथ में और ज्यादा आर्थिक (और राजनीति) ताकत इकट्‌ठा होगी.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा, 'भारत अभी भी IL&FS और यस बैंक की विफलताओं से सबक लेने की कोशिश कर रहा है.IWG की कई सिफारिशें स्वीकार करने योग्य हैं. लेकिन बैंकिंग क्षेत्र में भारतीय कारोबारी घरानों को प्रवेश देने की उसकी मुख्य सिफारिश को ठंडे बस्ते में डाल देना चाहिए.

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रघुराम राजन और विरल आचार्य ने चेतावनी देते हुए कहा है कि भले ही RBI बैंकिंग लाइसेंस को निष्पक्ष रूप से आवंटित करता है, लेकिन यह उन बड़े व्यापारिक घरानों को अनुचित लाभ देगा जो पहले से ही शुरुआती पूंजी रखते हैं. राजन और आचार्य ने आगे कहा है कि अत्यधिक कर्ज और राजनीतिक रूप से जुड़े व्यापारिक घरानों के पास लाइसेंस के लिए सबसे बड़ा प्रोत्साहन और क्षमता होगी जो हमारी राजनीति में धन शक्ति के महत्व को और अधिक बढ़ाएगा.

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बता दें कि बीते शुक्रवार को आरबीआई के एक आंतरिक समूह ने निजी बैंकों के मालिकाना हक पर नए नियमों को लेकर कई सिफारिशें की थी. इन सिफारिशों में सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसे गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFC) को बैंकिंग लाइसेंस देने की सिफारिश की गई है, जिनका असेट 50000 करोड़ रुपये से ज्यादा है और जिनका कम से कम 10 साल का ट्रैक रिकॉर्ड है और साथ ही बड़े औद्योगिक घरानों को भी बैंक चलाने की अनुमति दी जा सकती है. रिजर्व बैंक की समिति की सिफारिशें आने के साथ ही बहस भी शुरू हो गई है.

Source : News Nation Bureau

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