भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि शीर्ष बैंक केंद्र सरकार के लिए सीट बेल्ट का काम करता है, जबकि सरकार ड्राइवर है और वह सरकार को किसी भी 'दुर्घटना' से बचाता है. एक निजी बिजनेस चैनल से बातचीत में राजन ने कहा कि ऐतिहासिक तथ्य है कि सरकारें आर्थिक विकास पर जोर देती हैं, लेकिन उसे यह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय की गई सीमा में ही करना होता है, जोकि देश की आर्थिक हालत के आधार पर आरबीआई तय करता है.
उन्होंने कहा, 'आरबीआई किसी सीट बेल्ट की तरह है. सरकार ड्राइवर है. अगर आप सीट बेल्ट नहीं लगाएंगे, तो आप दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं, जो बहुत गंभीर हो सकती है.'
उन्होंने आगे कहा, 'इसलिए ज्यादातर ड्राइवर सीट बेल्ट नहीं लगाने पर आनेवाली बीप की आवाज सुनते हैं और वे सीट बेल्ट बांध लेते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि यह उनके फायदे के लिए है.'
पूर्व गवर्नर ने कहा कि आरबीआई केंद्र सरकार के प्रस्तावों को सुनता/समझता है, लेकिन फैसला हमेशा राष्ट्र हित को ध्यान में रखकर ही लेता है.
राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक, सरकार द्वारा जारी सभी प्रस्तावों को सुनता है और उसका सबसे बेहतर 'पेशेवर' जवाब देता है. उन्होंने कहा, 'इसके पास एक जिम्मेदारी है. इसे सुनना होता है, बेशक, अंत में इसे फैसला भी करना होता है, क्योंकि आखिरकार यह इसकी जिम्मेदारी है.'
सरकार द्वारा आरबीआई अधिनियम की धारा 7 के इस्तेमाल, जो इसकी स्वायत्तता को प्रभावित करता है, की खबरों पर उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि ऐसा कोई कदम उठाया गया है. उन्होंने कहा कि आरबीआई और सरकार दोनों को एक-दूसरे की प्रेरणा और विचारों की इज्जत करनी चाहिए.
और पढ़ें : राहुल गांधी का मोदी सरकार पर नया आरोप, कहा RBI के 3.6 लाख करोड़ रुपए पर है नजर
उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि सबसे अच्छा तो यही होगा कि दोनों पक्ष एक-दूसरे की प्रेरणा और विचारों की इज्जत करें.. आरबीआर सरकार के निर्देशों को सुनने के बाद ही सबसे पेशेवर जवाब दे सकता है.. और ऐतिहासिक रूप से भी इसने ऐसा किया है.'
उन्होंने कहा, 'मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि वह आज भी ऐसा कर सकता है.' राजन का यह बयान हाल में सरकार और आरबीआई के बीच चल रही तनातनी के बीच आया है.
Source : IANS