कांग्रेस एक बार फिर इस मुकाम पर पहुंच गई है कि पांच राज्यों के महासंग्राम में अपने दम पर एक भी राज्य नहीं जीत सकी. हालांकि पार्टी को केरल में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद थी, लेकिन रविवार को आए नतीजों के मुताबिक, एलडीएफ ने उसे फिर सत्ता से दूर रहने को मजबूर कर दिया. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सभी पांच राज्यों में प्रचार किया, लेकिन पार्टी के लिए सफलता हासिल नहीं कर सके, हालांकि चुनावों की निगरानी और प्रबंधन करने वाली टीम ने उन्हें चुना था. असम में चुनाव प्रचार का प्रभार जितेंद्र सिंह ने संभाला था, जिन्होंने मतदान का प्रबंधन करने के लिए एक पीआर एजेंसी में भाग लिया.
जितेंद्र सिंह ने प्रचार के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को भी मैदान में उतारा, लेकिन नेताओं की बैटरी के बावजूद कांग्रेस राज्य में ज्यादा कुछ नहीं कर सकी. राज्य के कांग्रेस नेताओं को हाशिए पर महसूस किया गया. इसी तरह केरल में, तारिक अनवर को चुनाव का प्रबंधन करने के लिए चुना गया था, लेकिन सत्ता विरोधी लहर न होने के बावजूद पार्टी लोगों को लुभाने में विफल रही. पुडुचेरी में कांग्रेस ने भी अपना रास्ता खो दिया और इसी तरह पश्चिम बंगाल में वह लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को फ्री हैंड देने के बावजूद बहुत कुछ नहीं कर सकी.
केरल का नुकसान राहुल गांधी के लिए एक व्यक्तिगत झटका है, क्योंकि इसी राज्य के वायनाड से वह सांसद हैं और उनके करीबी के.सी. वेणुगोपाल भी उसी राज्य से आते हैं. असंतुष्ट खेमे के कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी को रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा और एक नई टीम बनानी होगी, तभी वह चुनाव हारने से बच सकती है. तमिलनाडु में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन को कामयाबी मिली, इसके अलावा वह सभी विधानसभा चुनाव हार गई.
मतगणना के रूझानों से यही पता चल रहा है कि कांग्रेस को पांच राज्यों में करारी हार का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि सबसे चौंकाने वाली बात पार्टी को केरल में मिल रही हार है, जहां एलडीएफ या वाम लोकतांत्रिक मोर्चा लगातार दूसरी बार जीत हासिल की इतिहास रचने जा रही है. पार्टी को केरल से मिला यह झटका अहम है क्योंकि पार्टी के नेता राहुल गांधी वायनाड से सांसद हैं और उनके करीबी लेफ्टिनेंट के.सी. वेणुगोपाल भी उसी राज्य से हैं. रुझानों के मुताबिक, पुडुचेरी में भी एनडीए कांग्रेस से आगे है. कांग्रेस के लिए अब एक मात्र रास्ता तमिलनाड़ु का ही है, जहां गठबंधन वाली सरकार को जीत मिलने के आसार है, हालांकि कांग्रेस की दावेदारी यहां कम ही है.
HIGHLIGHTS
- राहुल गांधी की टीम को नहीं मिला वांछित परिणाम
- 5 राज्यों के चुनावों में कांग्रेस को मिले बुरे परिणाम
- सिर्फ तमिलनाडु में कांग्रेस गठबंधन जीत के करीब