कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को आज (सोमवार) कांग्रेस अध्यक्ष घोषित किया जाएगा।
47 वर्षीय राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी की कमान संभालने वाले नेहरू-गांधी परिवार के छठे वारिस हैं।
बता दें कि नाम वापसी की आखिरी तारीख 11 दिसंबर है, जब उनके चयन की घोषणा की जा सकती है क्योंकि उनके मुकाबले में कोई उम्मीदवार नहीं है।
राहुल गांधी को कांग्रेस उपाध्यक्ष जनवरी 2013 में बनाया गया था। वह अपनी मां सोनिया गांधी की जगह लेंगे। सोनिया गांधी को 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था।
सोनिया सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रही हैं।
कांग्रेस को उम्मीद है कि राहुल के अध्यक्ष बनने से पार्टी में नई जान आएगी और 2019 लोकसभा चुनाव में नई रणनीति के तहत काम किया जाएगा।
सवाल ये उठता है कि क्या राहुल गांधी वाकई में अपनी पार्टी के लिए कोई करिश्मा कर पाएंगे।
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राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने से ये ज़रूर है कि ज़मीनी स्तर पर कमज़ोर हो रहे कार्यकर्ताओं के अंदर एक उम्मीद जगेगी और नए उत्साह का संचार होगा। लेकिन सिर्फ इतने से काम हो जाएगा ऐसा लगता नहीं है।
कांग्रेस को सबसे पहले पार्टी के अंदर पीएम मोदी के तर्ज़ पर कई पुराने नेताओं को साइड करना होगा और उनकी जगह ऐसे चेहरे को लाना होगा जो नए सिरे से कुछ करने का माद्दा रखते हैं।
इसके साथ ही पार्टी के कुछ नए स्टैंड तय करने होंगे। जो कांग्रेस को न केवल नयी दिशा देगी बल्कि आम लोगों के नज़रिए को भी बदलने में मददगार साबित होगी।
इसके अलावा कांग्रेस को अपने काम करने के पुराने रवैये में भी बदलाव करना होगा।
बीजेपी पार्टी ज़्यादातर समय विपक्ष में रही है इसलिए वो मुद्दे को भुनाना जानती है जबकि कांग्रेस इस मामले में अब तक फिसड्डी रही है।
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लोगों के भरोसे को जीतने के लिए कांग्रेस को शहर से लेकर गांव तक ज़मीनी कार्यकर्ताओं की फौज़ तैयार करनी होगी जो पार्टी की विचारधारा को समाज के सभी तबके में प्रसारित करने का काम करेगी।
पिछले काफी समय से कांग्रेस आलाकमान पर ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगता रहा है। कई कार्यकर्ता इसी रवैये की वजह से पार्टी से अलग हो गए लेकिन पार्टी ने उन्हें मनाने की कोशिश भी नहीं की।
अब बतौर अध्यक्ष राहुल को कोशिश करनी होगी की जो पुराने वफादार युवा कार्यकर्ता हैं उन्हें वापस लाया जाए। पार्टी संगठन को मज़बूत करना, युवा चेहरे को मान्यता देना कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो राहुल गांधी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
इसके साथ ही पार्टी की एक नयी विचारधारा लोगों के बीच लाना होगा जिससे ज़्यादा से ज़्यादा युवाओं को अपने साथ जोड़ा जा सके।
राहुल अगर 2019 लोकसभा चुनाव मे बीजेपी को चुनौती देना चाहते हैं तो उन्हें इन मुद्दों को प्राथमिकता देनी होगी।
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Source : News Nation Bureau