कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने स्वीकार किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी (Emergency) एक 'गलती' थी. राहुल ने अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु के साथ हुई बातचीत में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल एक गलती थी. इस दौरान राहुल गांधी ने स्वीकार किया इमरजेंसी गलत निर्णय था. और उस दौरान जो भी हुआ, वह गलत था. हालांकि इस दौरान भी राहुल गांधी बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधने से नहीं चूके. राहुल ने कहा कि वो वक्त वर्तमान परिप्रेक्ष्य से बिलकुल अलग था, क्योंकि कांग्रेस ने कभी भी देश के संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने का प्रयास नहीं किया और आज जो हो रहा है , वो उससे भी बुरा है. वह कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र के पक्षधर हैं. कांग्रेस ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी, देश को उसका संविधान दिया और समानता के लिए खड़ी हुई.
इससे पहले भी राहुल गांधी आपातकाल को इंदिरा की गलती मानकर माफी भी मांग चुके हैं. बता दें कि राहुल गांधी ने 13 मई 2019 को 'न्यूज नेशन' से बातचीत करते हुए जब राहुल गांधी से इमरजेंसी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उसके लिए माफी मांगते हुए कहा था कि' इंदिरा गांधी जी ने इमरजेंसी लगाई थी और इंदिरा गांधी जी ने माना कि इमरजेंसी गलत थी. मैं भी यहां कहता हूं कि इमरजेंसी गलत थी '
राहुल के अलावा अहमद पटेल ने भी एक दिसंबर 2018 को इमरजेंसी को गलत निर्णय मान चुके हैं. अहमद पटेल ने कहा था कि मुझे स्वीकार करना चाहिए कि दो डार्क पैच हैं, एक आपातकाल और दूसरी 2014 के बाद अघोषित आपातकाल, हमने तो माफी मांग ली, इंदिरा जी ने माफी मांग ली और ये भी वादा किया कि भविष्य में कभी ये गलती नहीं की जाएगी. लेकिन ये अघोषित आपातकाल जो है उसका क्या किया जाए ?'
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राहुल के गुनाहों की गिनती खत्म नहीं होगी- नकवी
इमरजेंसी को गलती बताने के बाद से राहुल बीजेपी नेताओं के निशाने पर आ गए हैं. बीजेपी का कहना है कि उनके गुनाहों की लिस्ट बहुत लंबी है, जिसकी गिनती खत्म नहीं होगी. केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि राहुल गांधी माफी मांगते थक जाएंगे, लेकिन उनके गुनाहों की गिनती खत्म नहीं होगी. इमरजेंसी में जिन लोगों ने अपनी जाने गंवाई, जिस तरह से उन्होंने लोकतंत्र की हत्या की. ये माफी करने लायक है? इनकी गुनाहों के गली के हर मोड पर इनके गुनाहों के ढेर दिखेंगे.
इमरजेंसी में संघ की भूमिका
1975 से 1977 के बीच आपातकाल के दौरान सत्याग्रह में हजारों स्वयंसेवकों की गिरफ्तारी के बाद संघ के कार्यकर्ताओं ने भूमिगत रह कर आंदोलन चलाना शुरु किया. आपातकाल के खिलाफ पोस्टर सड़कों पर चिपकाना, जनता को सूचनाएं देना और जेलों में बंद विभिन्न राजनीतिक कार्यकर्ताओं –नेताओं के बीच संवाद सूत्र का काम संघ कार्यकर्ताओं ने संभाला. जब लगभग सारे ही नेता जेलों में बंद थे, तब सारे दलों का विलय करा कर जनता पार्टी का गठन करवाने की कोशिशें संघ की ही मदद से चल सकी थीं.
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1975 में इंदिरा गांधी ने जब आपातकाल लगाया तो आरएसएस के लोगों ने इसका काफी विरोध किया था. इसके चलते बड़ी तादाद में स्वयंसेवकों को जेल भेज दिया गया था. आरएसएस पर 2 साल तक पाबंदी लगी रही. आपातकाल के बाद जब चुनाव की घोषणा हुई तो जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया. 1977 में जनता पार्टी की सत्ता में आई तो संघ पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया. दावा है की पूरे देश खासकर उत्तर भारत में लगभग 70 हजार स्वयंसेवकों ने गिरफ्तारियां दी थीं. जिसमें अधिकांश गिरफ्तारियां मीसा और डीआईआर कानून के अंतर्गत की गई.
HIGHLIGHTS
- राहुल के अलावा अहमद पटेल ने भी इमजेंसी को गलत माना
- राहुल गांधी बीजेपी और RSS पर निशाना साधने से नहीं चूके
- नकवी बोले- राहुल गांधी माफी मांगते थक जाएंगे
Source : News Nation Bureau