भारत के पूर्व क्रिकेटर वसीम जाफर (Former India cricketer Wasim Jaffer) के उत्तराखंड क्रिकेट संघ (Cricket Association of Uttarakhand) के कोच पद से इस्तीफा देने के बाद बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Former Congress Leader Rahul Gandhi) ने ट्विट करते हुए कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में नफरत को इतना सामान्य कर दिया गया है कि हमारे प्रिय खेल क्रिकेट को भी इसने अपनी चपेट में ले लिया है. भारत हम सभी का है. हम उन्हें अपनी एकता को मिटाने नहीं देंगे.' बता दें कि उत्तराखंड क्रिकेट संघ (सीएयू) के अधिकारियों ने जाफर पर आरोप लगाया है कि जाफर ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए धार्मिक आधार पर राज्य टीम में खिलाड़ियों को शामिल कराने की कोशिश की थी. जाफर उस समय उत्तराखंड टीम के कोच थे, लेकिन अपने ऊपर आरोप लगने के बाद उन्होंने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
In the last few years, hate has been normalised so much that even our beloved sport cricket has been marred by it.
India belongs to all of us.
Do not let them dismantle our unity.— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 13, 2021
वहीं भारतीय टीम के पूर्व लेग स्पिनर अनिल कुंबले ने धार्मिक आधार पर टीम के चयन के आरोपों का सामना कर रहे उत्तराखंड क्रिकेट टीम के पूर्व कोच और पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वसीम जाफर का समर्थन किया है. कुंबले ने जाफर के ट़्वीट का जवाब देते हुए गुरुवार को लिखा, 'मैं आपके साथ हूं वसीम. आपने सही काम किया है. बदकिस्मती से वह खिलाड़ी अब आपकी मेंटॉरशिप को मिस करेंगे.'
इससे पहले, जाफर ने कहा कि धार्मिक आधार पर राज्य टीम में खिलाड़ियों को शामिल कराने की कोशिश वाली बात को बेबुनियाद और निराधार बताया. उन्होंने कहा कि पहली बात तो यह कि खिलाड़ी कभी भी टीम में 'जय श्रीराम' और 'जय हनुमान' का नारा नहीं लगाते हैं और ना ही उन्होंने खिलाड़ियों को कभी ऐसा करने से रोका है.
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वहीं अपने ऊपर लगे धार्मिक आधार पर टीम के चयन के आरोपों का सामना कर रहे उत्तराखंड क्रिकेट टीम के पूर्व कोच और पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वसीम जाफर ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने कभी भी खिलाड़ियों को 'जय श्रीराम' और 'जय हनुमान' का नारा लगाने से नहीं रोका. जाफर ने कहा कि पहली बात तो यह कि खिलाड़ी कभी भी टीम में 'जय श्रीराम' और 'जय हनुमान' का नारा नहीं लगाते हैं और ना ही उन्होंने खिलाड़ियों को कभी ऐसा करने से रोका है.
उन्होंने कहा, " पहली बात तो यह कि इस तरह के नारे ('जय श्रीराम' और 'जय हनुमान') नहीं लगाते हैं. खिलाड़ी जब भी मैच में या अभ्यास मैच खेलते हैं तो वे 'रानी माता सच्चे दरबार की जय' कहते हैं. मैंने उन्हें कभी 'जय श्रीराम' और 'जय हनुमान' कहते नहीं सुना है. यह नारा ('रानी माता सच्चे दरबार की जय') सिख समुदाय से जुड़ा हुआ है और हमारी टीम में दो खिलाड़ी इस समुदाय से थे, इसलिए वे ऐसे नारे ('रानी माता सच्चे दरबार की जय') लगाते थे.'
पूर्व टेस्ट बल्लेबाज ने आगे कहा कि उत्तराखंड की टीम जब सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में खेलने के लिए बड़ौदा पहुंची थी तब उन्होंने खिलाड़ियों को 'गो उत्तराखंड', 'लेट़्स डू इट उत्तराखंड' या फिर 'कमऑन उत्तराखंड' जैसे नारे लगाने के लिए प्रेरित किया था.
उन्होंने कहा, 'मैंने उन्हें ऐसे नारे इसलिए लगाने के लिए प्रेरित किया क्योंकि जब मैं विदर्भ की टीम में था, तब चंदू सर (कोच चंद्रकांत पंडित) इस तरह के नारे लगवाते थे. ऐसा इसलिए था क्योंकि टीम में करीब 11-12 खिलाड़ी थे, जोकि विभिन्न समुदायों से थे. मेरे ऊपर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद और निराधार है. अगर मैं धार्मिक होता तो उन्हें 'अल्लाह हू अकबर' कहने के लिए प्रेरित करता.'
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गौरतलब है कि भारत के लिए 31 टेस्ट मैचों में 1944 रन बनाने वाले जाफर के मार्गदर्शन में उत्तराखंड की टीम सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में ग्रुप चरण में पांच मैचों में से केवल एक ही मैच जीत पाई थी.
सीएयू के अधिकारियों ने जाफर पर आरोप लगाया था कि जाफर ने ऑलराउंडर इकबाल अब्दुल्लाह को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए उत्तराखंड की टीम कप्तान बनाने की सिफारिश की थी. लेकिन जाफर का कहना है कि उन्होंने जय बिस्ता को उत्तराखंड टीम का कप्तान बनाने की सिफारिश की, लेकिन सीएयू के सचिव माहिम वर्मा और चयन समिति के चेरयरमैन रिजवान शमशाद ने अब्दुल्लाह को कप्तान बनाए जाने की सिफारिश की थी.
Source : News Nation Bureau