Rahul Gandhi & Lalu Prasad Yadav : साल 2013 में केंद्र सरकार एक ऑर्टिनेंस लेकर आई थी. इसमें मुद्दा था सजायाफ्ता राजनेताओं को किस तरह से सजा होने के बावजूद राहत मिल सकती है. उसमें कुछ प्रावधान थे. यूपीए-2 की सरकार थी. सरकार पर तमाम दाग थे. राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) कांग्रेस का चेहरा थे, भले ही वो सरकार में कोई मंत्रालय नहीं संभाल रहे थे. उन्होंने संसद में उस ऑर्डिनेंस की धज्जियां उड़ाते हुए उसे फाड़ दिया था. मीडिया की हेडलाइन्स बनी थी, खुद राहुल गांधी का बयान. राहुल गांधी का बयान था, 'Once convicted, You are out'. अब वो संसद से आउट हो चुके हैं. ये महज इत्तेफाक ही है कि 10 सालों में वो उस जगह आ गए, जिस जगह को बचाने की कोशिश कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए सरकार ( UPA Government ) कर रही थी.
इन नेताओं की जा चुकी है कुर्सी
साल 2013 के बाद कई हाई प्रोफाइल नेताओं की कुर्सी गई. लालू प्रसाद यादव, आजम खान, लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैसल, उत्तर प्रदेश में बीजेपी विधायक विक्रम सिंह सैनी... फैसल की सजा पर रोक लग गई है, लेकिन वो अपनी सांसदी गवां चुके हैं. आजम खान अपनी विधायकी गवां चुके हैं. विक्रम सिंह सैनी किस हाल में हैं, किसी को नहीं पता. ये तो ताजे मामले थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रसीद मसूद भी गए. अब खुद राहुल गांधी सदन से आउट हो चुके हैं.
ये खबर क्यों लिखी गई?
ये खबर इसलिए लिखी गई कि राहुल गांधी को जेल की सजा होने पर कांग्रेस ने इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की शुरुआत कर दी है. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ( Congress Chief Mallikarjun Kharge ) ने दिल्ली में बैठक बुलाई और सोमवार से बीजेपी के खिलाफ हल्लाबोल की शुरुआत पार्टी कर देगी. हैरानी की बात है कि अभी तक राहुल गांधी को अदालत से कोई राहत नहीं मिली है, लेकिन पार्टी ये कोशिश अभी से कर रही है कि उन्हें राजनीतिक शहीद बताकर पार्टी में जान फूंक दे. वैसे, कांग्रेस चाहे तो कर भी सकती है. अब राहुल गांधी पूरी तरह से 'फ्री' हो चुके हैं. वो 'दुर्भाग्य से सांसद' भी नहीं रहे. पार्टी में भी कोई पद नहीं है. लेकिन अब वो उस साल 2013 वाली ऑर्डिनेंस की भेंट चली लालू प्रसाद यादव की राह पकड़ सकते हैं. जी हां, ये राहुल गांधी के लिए 8 साल की कड़ी तपस्या के शुरुआत का समय भी हो सकता है कि वो अगर बिना डिगे 8 साल लालू की तरह लड़ते गुजार ले गए, तो हो सकता है कि उन्हें कुर्सी भले न मिले, लेकिन पार्टी में नई जान जरूर आ जाए.
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क्या किया लालू प्रसाद यादव ने?
लालू प्रसाद यादव ( Lalu Prasad Yadav ) अयोग्य घोषित होने के बाद जेल गए. पार्टी आरजेडी बिहार के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. सत्ता में नीतीश कुमार के साथ भी आए, फिर से सत्ता के लिए नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) के साथ आए और आगे सत्ता के लिए ही नहीं, मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार के साथ ही रहने का इरादा है. भले ही लालू यादव सजा पाने के बाद चुनाव नहीं लड़ सके हैं, लेकिन आरजेडी अब भी उन्हीं की वजह से एकजुट है, ये किसी को बताने की जरूरत नहीं है. ऐसे ही अब चाहें तो राहुल गांधी भी कर सकते हैं. पार्टी को एकजुट करें. चुनाव लड़वाएं. चूंकि त्याग वो पहले से करते रहे हैं और अब तो 8 साल की रोक भी लग गई है, तो त्यागी बने बगैर वो चाहें तो कांग्रेस की नैया पार लगा सकते हैं. हां, अब ये जरूर है कि उनकी पार्टी को फुल टाइम अध्यक्ष के तौर पर उनकी सेवाएं मिल जाएं.
HIGHLIGHTS
- राहुल गांधी चलेंगे लालू प्रसाद यादव की राह?
- अगर राहत न मिली, तो क्या करेंगे राहुल गांधी?
- साल 2013 में राहुल गांधी ने फाड़ा था ऑर्डिनेंस