कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना यानि सीपीसी के बुलावे पर 15 जनवरी से एक सप्ताह के लिए चीन के दौरे पर जाएगा।
इस प्रतिनिधि मंडल में पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कुमारी शैलजा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजीव शंकरराव सातव और सुष्मिता देव सहित कई नेता शामिल होंगे।
ट्रैक टू डिप्लोमैसी के तहत यह यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा रही है। चीन के साथ भारत के संबंधों में फिलहाल चनाव नज़र आ रहा है। भारत के अग्नि मिसाइल के परीक्षण पर चीन ने कड़ा विरोध जताया है।
इसके अलावा पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर पर भी चीन संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर रहा है। भारत ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव दिया जिस पर चीन लागातार अड़ंगा लगा रहा है।
हालांकि राहुल गांधी की यात्रा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बुलावे पर है और हर साल इस तरह की यात्रा दोनों देशों के बीच होती है। आधिकारिक यात्रा न होने के बाद भी भारत और चीन के बीच रिश्तों पर चर्चा होती है और विभिन्न मुद्दों पर राजनीतिक दलों की रुख की भी जानकारी मिलती है।
पहले भी अक्टूबर 2007 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बुलावे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व किया था। इस दौरे में उन्होंने चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति हू जिंताओ और प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ से मुलाकात की थी। इसके अलावा 2008 में भी वो बीजिंग ओलंपिक्स को उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेने गई थीं।
इससे पहले सीपीसी का एक प्रतिनिधिमंडल पिछले साल मई में भारत दौरे पर आया था और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गांधी से मुलाकात की थी। प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी।
Source : News Nation Bureau