मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन सोमवार को 40वें दिन में प्रवेश कर गया है. किसान जहां तीनों कानूनों को रद्द करने पर अड़े हैं, वहीं सरकार पिछली बैठक में दो मुद्दों पर राजी होने को आधार बना आज होने जा रही वार्ता में गतिरोध दूर करने के उद्देश्य को लेकर चल रही है. इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को संकटमोचक बतौर देखा जा रहा है. किसानों के बीच अच्छी छवि रखने वाले राजनाथ सिंह से संभवतः इसीलिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को मुलाकात की थी. यह अलग बात है कि सरकार के बीच के रास्ते को सिरे से खारिज करते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने दो टूक कह दिया है कानून के खात्मे से कम पर कुछ बात नहीं बनने वाली. इस जोर-आजमाइश के बीच बारिश ने आंदोलनरत किसानों के लिए खासी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.
मोदी सरकार काम कर रही एक फॉर्मूले पर
किसान संगठनों के साथ सातवें दौर की बैठक से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) सक्रिय हो गया है. सबसे पहले पीएमओ ने सोमवार को होने वाली बैठक को लेकर संबंधित मंत्रियों से फीडबैक लिया है. वहीं प्रस्तावित बातचीत से पहले केंद्र सरकार पूरी तरह सतर्क होकर आगे की रणनीति पर काम कर रही है. सरकार यह मानकर चल रही है कि किसानों के साथ गतिरोध आसानी से खत्म नहीं होने वाला. ऐसे में आज होने वाली बैठक में बीच का रास्ता निकालते हुए मोदी सरकार एक नया फॉर्मूला पेश कर सकती है. इसके तहत एमएसपी पर लिखित आश्वासन दिया जा सकता है. साथ ही कृषि कानून को रद्द करने के मसले पर कानूनों की समीक्षा के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव आ सकता है, जिसमें किसान संगठनों को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने की बात होगी.
यह भी पढ़ेंः 30 जनवरी तक ब्रिटेन से आने वालों का COVID Test होगा
राजनाथ सिंह बनेंगे संकटमोचक
पीएमओ ने इसके साथ ही केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी खुलकर आगे लाने का फैसला कर लिया है. किसानों के बीच राजनाथ सिंह की अच्छी छवि का फायदा सरकार भी उठाना चाहती है. संभवतः इसी कारण से रविवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राजनाथ सिंह के साथ बैठक की और इस संकट के यथाशीघ्र समाधान के लिए सरकार की रणनीति पर चर्चा की. सूत्रों ने बताया कि तोमर ने सिंह के साथ इस संकट के समाधान के लिए बीच का रास्ता ढूंढने के लिए सभी संभावित विकल्पों पर चर्चा की. विरोध कर रहे किसान पहले ही अपना आंदोलन तेज करने के संबंध में अल्टीमेटम दे चुके हैं. ऐसे में अगर वार्ता विफल रही तो भी सरकार इस मुद्दे के समाधान के लिए बीच का रास्ता अख्तियार करने की कोशिश कर रही है.
किसान कानून रद्द होने से कम पर राजी नहीं
सरकार से होने जा रही सातवें दौर की बातचीत से पहले भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत रविवार को गुरुग्राम में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के धरना स्थल पर पहुंचे. उन्होंने धरना स्थल पर दो टूक कहा कि आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा, जब तक सरकार नए कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती. टिकैत ने आरोप लगाया कि नए कृषि कानून सिर्फ पूंजीपतियों के फायदे के लिए बनाए गए हैं. इन कानूनों से किसानों का भारी नुकसान होने वाला है. उन्होंने कहा कि जब तक किसानों की मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे और इन कानूनों का विरोध करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि जल्द ही राजस्थान के किसान भी दिल्ली की सीमा पर पहुंचेंगे. उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा, गुरुग्राम को उन्हें हरसंभव मदद करनी चाहिए.
यह भी पढ़ेंः धरने पर लगे सचिन पायलट जिंदाबाद के नारे तो भड़के सीएम अशोक गहलोत
सीमाओं पर डटे किसानों की बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें
कृषि कानून पर जारी गतिरोध के बीच आंदोलनरत किसानों की मुश्किलें रातभर हुई बारिश ने बढ़ा दी है. लगातार बारिश होने से आंदोलन स्थलों पर जलजमाव हो गया है. संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेता अभिमन्यु कोहर के मुताबिक किसान जिन तंबूओं में रह रहे हैं वह वॉटरप्रूफ हैं लेकिन ये ठंड और जलभराव से उनका बचाव नहीं कर सकते. बारिश की वजह से प्रदर्शन स्थलों पर हालात बहुत खराब हैं, यहां जलभराव हो गया है. बारिश के बाद ठंड बहुत बढ़ गई है. कुछ स्थानों में पानी भर गया है और समुचित जन सुविधाएं नहीं हैं. मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली के कई इलाकों में भारी बारिश हुई तथा बादल छाए रहने और पूर्वी हवाओं के चलते न्यूनतम तापमान में वृद्धि हुई है.
पराली और बिजली वाले कानूनों पर बन चुकी सहमति
गौरतलब है कि पांच दौर की वार्ता के बेनतीजा रहने के बाद 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में सरकार और 40 किसान संगठनों के बीच बिजली की दरों में वृद्धि एवं पराली जलाने पर जुर्माने पर प्रदर्शनकारी किसानों की चिंताओं के समाधान पर बात बनी थी, लेकिन तीन कृषि कानूनों के निरसन एवं एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के विषय पर दोनों पक्षों में गतिरोध कायम है. एक जनवरी को तोमर ने कहा था कि सरकार चार जनवरी को किसान संगठनों के साथ अगले दौर की बैठक में सकारात्मक नतीजे को लेकर आशान्वित है. हालांकि उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार किया कि क्या सातवां दौर वार्ता का आखिरी दौर होगा.