भू राजनीतिक और भू आर्थिक मुद्दों पर भारत के महत्वपूर्ण वैश्विक सम्मेलन रायसीना डायलॉग ( Raisina Dialogue 2020 ) की शुरुआत मंगलवार को होगी जहां पर सात राष्ट्रों के राष्ट्र प्रमुख या शासनाध्यक्ष दुनिया के समक्ष मौजूद चुनौतियों पर अपने विचार रखेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके उद्घाटन सत्र में शामिल होंगे. इस दौरान दुनिया के समक्ष वैश्वीकरण से जुड़ी चुनौतियों, 2030 का एजेंडा, आधुनिक दुनिया में प्रौद्योगिकी की भूमिका, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद का मुकाबला जैसे मुद्दों पर अपनी राय रखेंगे.
विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रतिष्ठित रायसीना डायलॉग के पांचवे संस्करण का आयोजन विदेश मंत्रालय और ऑर्ब्जवर रिसर्च फाउंडेशन संयुक्त रूप से कर रहे हैं. इसमें करीब 100 देशों के 700 अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि शामिल होंगे. यह अपनी तरह के सबसे बड़े समागमों में एक है.
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उन्होंने बताया कि तीन दिन के सम्मेलन में रूस, ईरान, ऑस्ट्रेलिया, मालदीव, दक्षिण अफ्रीका, एस्तोनिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, हंगरी, लातविया, उज्बेकिस्तान सहित 12 देशों के विदेश मंत्री और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि शामिल होंगे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया कि 15 जनवरी को भारत का तरीका, विकास और प्रतियोगिता की सदी के लिए तैयारी विषय पर बोलने के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर मंच पर होंगे.
ईरानी कुद्स फोर्स के कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ के सम्मेलन में शामिल होने को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. जरीफ और रुस के विदेश मंत्री सेरगी लावरोव दोनों ही मंगलवार रात नई दिल्ली पहुंच जाएंगे और अगले दिन सम्मेलन को संबोधित करेंगे. जरीफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलेंगे और विदेश मंत्री जयशंकर के साथ बातचीत करेंगे. विदेश मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक शंघाई सहयोग संगठन के महासचिव और राष्ट्रसंघ के महासचिव भी शामिल होंगे.
विदेश मंत्रालय ने बताया कि अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और जर्मनी सहित कई देशों के राज्यमंत्री भी सम्मेलन में अपने विचारों को रखेंगे. सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में दुनिया के 30 थिंक टैंक भी अपने विचार रखेंगे.