राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Election ) होने हैं, लेकिन कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है. पायलट और गहलोत गुटों के बीच छत्तीस का आंकड़ा लंबे समय बना हुआ है. इसी बीच एक बार फिर से राजस्थान (Rajasthan) में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में 2023 का चुनाव लड़ने का संकेत है. शनिवार (18 मार्च) को कांग्रेस के आधिकारिक इंस्टाग्राम पर एक मैसेज लिखा गया है. AICC ने अपने इस्टाग्राम पर लिखा " गहलोत फिर से". इसका साफ संदेश है कि प्रदेश में अगर कांग्रेस की सरकार दोबारा बनती है तो कमान अशोक गहलोत ही संभालेंगे. ऐसे में सचिन पायलट का क्या होगा. क्या पायलट का मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरा नहीं होगा. ऐसा इसलिए कि लंबे समय से प्रदेश में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की जा रही है. पिछले साल 25 सितंबर के सियासी घटनाक्रम के बाद पायलट और गहलोत दोनों मुखर हैं. पायलट समर्थक विधायक अपने नेता को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं. अगर 2023 में कांग्रेस रिपीट हुई और पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो उनके नेता बेहद नाराज होंगे.
कांग्रेस के इंस्टाग्राम पर गहलोत सरकार की उपलब्धि का एक रील तैयार किया गया है. इसमें लिखा गया है 'मिशन 2023-28 गहलोत फिर से' इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस राजस्थान में फिर से गहलोत की अगुआई में अगला विधानसभा चुनाव लड़ेगी. इस मैसेज से साफ है कि कांग्रेस आलाकमान चाहता है कि गहलोत को हटाने से पार्टी को नुकसान हो सकता है. ऐसे में पार्टी फूंक-फूंक कर कदम रखना चाहती है.
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राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की मांग
दरअसल, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि राजस्थान में अगला सीएम कौन होगा. इसका फैसला चुनाव बाद ही किया जाएगा. उन्होंने कहा था कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों पार्टी के स्तंभ हैं. ऐसे में कांग्रेस के आधिकारिक इंस्टाग्राम पर लिखा गया मैसेज पायलट गुट को नाराज कर सकता है. क्योंकि पायलट गुट के समर्थक राजेंद्र गुढ़ा हों या फिर विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा समेत अन्य विधायक लगातार नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे हैं. इन नेताओं की मांग है कि सचिन पायलट को सीएम की कुर्सी दी जाए.
क्या है 25 सितंबर का सियासी घटनाक्रम
पायलट समर्थक लंबे समय से नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे हैं. वहीं, पिछले साल कांग्रेस अध्यक्ष के लिए अशोक गहलोत का नाम सामने आया था. ऐसे में कयास लगाया जा रहा था कि पार्टी अब सचिन पायलट के हाथ में राजस्थान की कमान सौंपने की तैयारी कर रही है. जयपुर में 25 सितंबर को प्रदेश प्रभारी अजय माकन के नेतृत्व में सीएलसी की बैठक बुलाई गई थी, इसमें अशोक गहलोत, सचिन पायलट समेत सभी विधायकों को बुलाया गया था, लेकिन गहलोत गुट के विधायकों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया था. यूएचडी मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर अशोक गहलोत के समर्थन में विधायकों ने अलग से बैठक कर विधानसभा अध्यक्ष के नाम इस्तीफा सौंप दिया था. हालांकि, बाद में विधायकों का इस्तीफा नामंजूर कर दिया गया, लेकिन इस मामले को लेकर राजस्थान से लेकर दिल्ली तक जमकर सियासत हुई. बाद में अशोक गहलोत ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से इस पूरे प्रकरण के लिए माफी मांग ली थी.
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पायलट और गहलोत में 36 का आंकड़ा
बता दें कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सियासी घमासान किसी से छिपा नहीं है. आए दिन दोनों नेता एक दूसरे पर हमला करने का एक भी मौका नहीं छोड़ते हैं. बीते दिनों पुलवामा हमले की शहीदों की वीरांगनाओं के मामले में सचिन पायलट ने गहलोत पर निशाना साधा था. पायलट ने कहा था कि इस मामले में किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए.सचिन पायलट ने कहा था कि वीरांगनाओं के मुद्दे को कांग्रेस-बीजेपी के नजरिए से नहीं देखना चाहिए. पायलट ने अशोक गहलोत का नाम लिए बगैर कहा था कि छोटी-मोटी मांग को पूरा किया जा सकता है.
HIGHLIGHTS
- राजस्थान में गहलोत का 'जादू' रहेगा बरकरार
- सोशल मीडिया पर पार्टी ने दिया संकेत
- पायलट का सपना चकनाचूर!