सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राजस्थान विधानसभा स्पीकर के उस आग्रह को मानने से इनकार कर दिया, जिसमें स्पीकर ने सचिन पायलट व अन्य बागी विधायकों के खिलाफ आयोग्यता नोटिस पर कार्रवाई करने पर रोक के राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. शीर्ष अदालत ने साथ ही हाईकोर्ट को शुक्रवार को मामले में आदेश जारी करने की इजाजत दे दी, लेकिन कहा कि यह शीर्ष अदालत की कार्यवाही के परिणाम के अधीन होगा. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, बी.आर. गवई और कृष्णा मुरारी की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई की.
सचिन पायलट की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील हरिश साल्वे ने पीठ से कहा कि इसपर रोक लगाने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि स्पीकर हाईकोर्ट जा चुके हैं और अब वह रोक लगाने की मांग नहीं कर सकते. पीठ ने पाया कि इस मामले के लिए विस्तृत सुनवाई की जरूरत है. पीठ ने राजस्थान विधानसभा स्पीकर सी.पी. जोशी की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, आपके प्रश्नों के लिए लंबी सुनवाई की आवश्यकता हैं. सिब्बल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को हाई कोर्ट के आदेश को निलंबित कर देना चाहिए. इसपर कोर्ट ने कहा कि यह वह विषय है जिसे हम देखना चाहते हैं.
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सिब्बल ने फिर शीर्ष अदालत से कहा कि अदालत को हाईकोर्ट की याचिका को यहां ट्रांसफर कर लेना चाहिए. पीठ ने कहा, अभी नहीं. इसके बाद सिब्बल ने शीर्ष अदालत से हाईकोर्ट में आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए आदेश देने की मांग की. पायलट का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने स्पीकर के राजनीतिक सुर पर सवाल किया और कहा, अगर स्पीकर स्वयं दो बार इसे टालने के लिए सहमत हो सकते हैं, तो फिर वह अन्य 24 घंटे इंतजार क्यों नहीं कर सकते. शीर्ष अदालत ने पाया कि यह लोकतंत्र से जुड़ा महत्वपूर्ण सवाल है.
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पीठ ने कहा, कैसे लोकतंत्र का संचालन होगा? यह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है. हम इसे सुनना चाहते हैं. साल्वे ने कहा कि राजस्थान स्पीकर ने पहले खुद दो बार कार्यवाही स्थगित की है और हाईकोर्ट के समक्ष अधिकार क्षेत्र और रखरखाव के मुद्दे पर चर्चा हुई है. इसपर पीठ ने जवाब दिया, क्या हम कह सकते हैं कि हाईकोर्ट का आदेश यहां के परिणामों का विषय होगा? साल्वे ने इसपर सहमति जताई. शीर्ष अदालत में मामले की सुनवाई अब सोमवार को भी जारी रहेगी.