जहां एक और सुप्रीम कोर्ट दागियों को इस बार चुनाव से दूर रखने की कवायद में जुटा है तो वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में दागी और खूंखार अपराधी राजनीति में अपने पैर पसारने की जुगत में लगे हुए हैं. हाल ही में आईबी ने राजस्थान सरकार को एक रिपोर्ट दी है जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि राजस्थान के खूंखार अपराधी और उनके परिजन साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी ताल ठोकने जा रहे हैं.
IB की रिपोर्ट आने के बाद से सरकार की चिंताएं काफी बढ़ गई है, साल के आखिरी में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव इस बार पुलिस के लिए किसी अग्नि परीक्षा से काम नहीं होंगे.
इसका कारण अपराध जगत में सुर्खियों में रहे कई बाहुबलियों का इस बार सियासी समर में दमखम दिखाने की ललक या अपने किसी परिवार जन को विधानसभा में पहुंचाने की चाहत है.
प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से सुनाई पड़ रही इस धमक को लेकर राज्य पुलिस अभी से आने वाले समय की चुनौतियों से निपटने की तैयारी में जुट गई है. उत्तर प्रदेश और बिहार के बाद अब राजस्थान के कुख्यात बदमाश भी राजनीति की राह पर हैं.
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उत्तरप्रदेश और बिहार में जिस तरह से संगीन अपराध करने वाले बदमाश जेल से चुनाव लड़ते या उनके निकट रिश्तेदार चुनाव लड़ते हैं, इसी तर्ज पर इस बार राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों में इतिहास में पहली बार अपराध जगत से जुडे एक दर्जन से ज्यादा कुख्यात अपराधियों के परिजन या वे स्वयं अपना दमखम दिखने की तैयारी कर रहे हैं.
जिससे विधानसभा चुनावों में अपराधियों की धमक के साथ-साथ पुलिस प्रशासन के लिए नई परेशानी खड़ी होने जा रही है. उनमें से तीन तो इस समय सरपंच पद पर कार्यरत है.
राज्य में ढ़ाई महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में पहली बार अपराध जगत के चर्चित चेहरे जो लूट, हत्या के प्रयास, गैंगवार में शामिल, नकबजनी और शातिर वाहन चोरी जैसे अपराध से जुडे अपराधी विधानसभा चुनाव के समर में उतरने की तैयारी कर रहे हैं.
कुख्यात गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह की बेटी डीडवाना से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. इसके अलावा शातिर वाहन चोर हंसराज मीणा जिसके खिलाफ पचास से ज्यादा मुकदमें दर्ज है, उसकी पत्नी पदमपुरा गांव से इस समय सरपंच है और टोडाभीम से निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में है
सेवर जेल में बंद कुख्यात बदमाश सुभाष मुण्ड की पत्नी या मां के नागौर जिले की जायल विधानसभा सीट से चुनाव लडने की चर्चाएं गर्म है. मुकेश सौथलिया जिसके खिलाफ शराब तस्करी से लेकर मारपीट के कई मुकदमें दर्ज है वह सीकर जिले के श्रीमाधोपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में है.
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इस समय मुकेश सैथलिया गांव से सरपंच है. दूसरे नामों पर गौर करें तो बलराम हुडला दौसा जिले के हुडला गांव का रहने वाला है. जिसने जेल में रहते हुए छह माह पहले सरपंच पद का उप चुनाव लड़ा और जेल में ही चुनाव जीतकर सरपंच बन गया है.
इसके खिलाफ वाहन चोरी के दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं. इसके अलावा करौली सवाईमाधोपुर जिले के शातिर बदमाश छप्पन मीणा की पत्नी सवाईमाधोपुर जिले के शाहदरा गांव से सरपंच है.
वह बामनवास विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में है. यह तो मात्र कुछ उदाहरण हैं इसके अलावा जेल में बंद कई हार्डकोर बदमाश इस बार विधानसभा चुनावों में किसी न किसी तरीके से ताल ठोकने की तैयारी कर रहे हैं.
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इसको लेकर प्रदेश के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का कहना जब तक किसी को कोर्ट अपराधी साबित नही कर देता उसे अपराधी मानकर चुनाव में मना नहीं कर सकते हैं.
अपराधियों के राजनीति में दखल और सक्रियता से चुनावी सीजन में नेताओ में बयानबाजी भी हो रही है. बीजेपी का कहना है कि अपराधी का दंड उसके परिजनों को नहीं दिया जा सकता है. कांग्रेस का कहना है पार्टी स्वछ छवि का ध्यान रख रही है.
इस बार के विधानसभा चुनावों में अपराधियों के चुनाव लड़ने से पुलिस के सामने आपसी रंजिश और गैंगवार की ज्यादा आशंका के चलते नया सिरदर्द बढ़ना तय है.
जिसके चलते चुनावों के दौरान कानून व्यवस्था को लेकर नई परेशानी खड़ी हो सकती है. हनुमानगढ़ जिले के रावतसर में पालिकाध्यक्ष की गोली मारकर हत्या की घटना की भी सियासी रंजिश के तहत देखा जा रहा है.
Source : News Nation Bureau