मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के नेतृत्व वाली राजस्थान कैबिनेट ने विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने के लिए तीसरा बार राजभवन को प्रस्ताव भेज दिया है. सरकार ने राज्यपाल कलराज मिश्र (Governor Kalraj Mishra) द्वारा पूछे गए 3 सवालों का जवाब देते हुए सत्र बुलाने के लिए कैबिनेट का संशोधित प्रस्ताव तीसरी बार राजभवन भेजा है. गहलोत कैबिनेट ने 31 जुलाई से ही विधानसभा सत्र बुलाने की इच्छा जताई है. हालांकि सरकार ने प्रस्ताव में इस बात का उल्लेख नहीं किया है कि क्या वह विधानसभा सत्र में विश्वास मत प्राप्त करना चाहती है. मगर सिर पर मंडराते खतरे के बीच राज्यपाल के सवालों के गहलोत सरकार बौखलाई हुई है.
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परिवहन मंत्री प्रताप खाचरियावास का कहना है कि राज्यपाल की मंशा विधानसभा का सत्र बुलाने की ही नहीं है. जब पूछा कि क्या राज्यपाल के 21 दिन के नोटिस पर सत्र बुलाने की सलाह से सरकार सहमत हैं या नहीं इस पर खाचरियावास ने बौखलाते हुए कहा कि न्यूज़ नेशन इसकी गारंटी लेता है, क्या कि 21 दिन बाद राज्यपाल सत्र बुला लेंगे. उन्होंने आगे कहा, 'राज्यपाल ने कोई तारीख नहीं दी. उन्होंने तारीख नहीं दी कि 21 दिन बाद आप सत्र कर लो. वे तारीख घोषित करें. उन्होंने कोई तारीख नहीं दी. वे तारीख तो दें. 21 दिन की बातें हो रही हैं यहां पर. यहां घुमाइए मत ये खेल चल रहा है- फुटबाल बनने का, टालने का. अगर वे हमारी तारीख नहीं मानते तो अपनी तारीख तो दें. वे 21 दिन बाद की तारीख भेजेंगे तो उनकी पोल खुल जाएगी.'
खाचरियावास ने कहा, 'हमें पक्की उम्मीद है कि राज्यपाल महोदय देश के संविधान का सम्मान करते हुए राजस्थान की गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल के इस प्रस्ताव को मंजूर करेंगे.' मंत्री ने कहा, 'हम 31 जुलाई से सत्र चाहते हैं. जो पहले प्रस्ताव था वह हमारा अधिकार है, कानूनी अधिकार है. उसी को हम वापस भेज रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'उसी को हमने वापस भेजा है, अब अगर आप यदि तानाशही पर आ जायें, आप अगर तय कर लें कि हम जो संविधान में तय है उसे मानेंगे ही नहीं, तो देश ऐसे चलेगा क्या?' राज्यपाल द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने कुल सरल से बिंदु उठाए थे जिनके जवाब भी सरल ही हैं.
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उन्होंने कहा, 'अब राज्यपाल महोदय को तय करना है कि वे राजस्थान, हर राजस्थानी की भावना को समझें. हम लोग राज्यपाल से टकराव नहीं चाहते. हमारी राज्यपाल से कोई नाराजगी नहीं है. न ही हम दोनों में कोई प्रतिस्पर्धा है. राज्यपाल महोदय हमारे परिवार के मुखिया हैं.' उन्होंने कहा,' राज्यपाल महोदय संविधान के अनुसार विधानसभा सत्र आहूत करने की अनुमति दें. यह हमारा अधिकार है. हम कोई टकराव नहीं चाहते. हम चाहते हैं कि राजस्थान की सरकार सुनिश्चित रहे, आगे बढ़े और जनता का काम करे. राज्यपाल अगर यदि इस बार भी प्रस्ताव मंजूर नहीं करते हैं तो इसका आशय स्पष्ट है कि देश में संविधान नहीं है.' गहलोत गुट के मंत्री ने कहा, भारत सरकार के नियुक्त किए गए राज्यपाल संविधान को ताक पर रखकर राजनीति कर रहे हैं.
राज्यपाल ने सरकार से ये 3 सवाल किए थे
- पहला सवाल- क्या विश्वास मत प्रस्ताव चाहते हैं? यदि बहुमत परीक्षण हुआ तो संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव की मौजूदगी में हो, वीडियो रिकॉर्डिंग व सीधा प्रसारण हो.
- दूसरा सवाल- सत्र में दूरी कैसे रखी जाएगी? क्या कोई व्यवस्था है जिसमें 200 सदस्य और 1000 से ज्यादा अफसरों-कर्मचारियों के जुटने पर कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं हो?
- तीसरा सवाल- सत्र 21 दिन का क्लियर नोटिस देकर बुलाया जाए. क्या महत्वपूर्ण प्रकरणों पर सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट की तरह ऑनलाइन बहस हो सकती है.