देश के छठे प्रधानमंत्री और भारत रत्न से सम्मानित राजीव गांधी की आज 74वीं जयंती है। राजीव गांधी की जयंती के मौके पर उनकी पत्नी सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और रॉबर्ट वाड्रा के साथ उनकी समाधि स्थल वीरभूमि पर पहुंची और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी वीरभूमि पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। राजीव 40 वर्ष की उम्र में बनने वाले देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था।
21 मई 1991 को आम चुनाव में प्रचार के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में बम विस्फोट में उनकी हत्या कर दी गई थी। उनकी शुरुआती पढ़ाई लिखाई देहरादून के मशहूर दून स्कूल में हुई थी।
राजीव ने 1965 में ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के इम्पीरियल कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। लंदन में ही राजीव गांधी की इटली निवासी सोनिया से मुलाकात हुई। दोनों के बीच प्यार हो गया।
साल 1966 में मां इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वे भारत वापस आ गए थे, साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव के नेतृत्व में कांग्रेस ने 400 से ज्यादा सीटें हासिल की और वो देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने।
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जब राजीव ने सोनिया से कहा- कुछ भी हो मैं मारा जाउंगा
राजीव गांधी के करीबी रहे पीसी अलेक्जेंडर ने अपनी किताब "माई डेज विथ इंदिरा गांधी" में भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री की हत्या के बाद राजीव गांधी और सोनिया गांधी के बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संंस्थान (एम्स) में हुए संवाद का जिक्र किया है।
इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उनके दो सिख अंगरक्षकों ने प्रधानमंत्री निवास में गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या के वक़्त सोनिया गांधी घर पर ही मौजूद थीं। गोलियों से छलनी इंदिरा को कार से लेकर सोनिया एम्स पहुँची। इंदिरा को बचाया नहीं जा सका।
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद यह साफ था कि राजीव ही उनकी जगह लेंगे। सोनिया गांधी यह बात जानती थीं। पीसी अलेक्जेंडर के अनुसार इंदिरा की हत्या के बाद सोनिया गांधी पूरी तरह सहम गई थीं। एम्स के गलियारे में ही राजीव से उनकी इंदिरा गांधी की जगह प्रधानमंत्री बनने को लेकर बहस हो गई।
पीसी अलेक्जेंडर के अनुसार जब राजीव ने सोनिया को बताया कि कांग्रेस चाहती है कि वो इंदिरा की जगह प्रधानमंत्री बने तो सोनिया ने साफ शब्दों में कहा, 'नहीं, वो तुम्हें भी मार डालेंगे।'
सोनिया की चिंता को पूरी तरह समझने के बावजूद राजीव ने उन्हें जवाब दिया, 'मेरे पास दूसरा विकल्प नहीं है। चाहे जो भी हो मैं मारा ही जाऊंगा।'
31 अक्टूबर 1984 को ही राजीव गांधी ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले ली। उसी साल के अंत में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने लोक सभा चुनाव में बहुमत हासिल करके दोबारा प्रधानमंत्री बने।
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राजनीति से पहले पायलट थे राजीव
राजीव गांधी की कभी राजनीति में आने की दिलचस्पी नहीं थी। राजनीति में आने से पहले वो एक एयरलाइन में पायलट की नौकरी करते थे। आपातकाल के बाद जब इंदिरा गांधी को सत्ता छोड़नी पड़ी थी, तब कुछ समय के लिए राजीव परिवार के साथ विदेश में रहने चले गए थे।
राजीव गांधी की हत्या
श्रीलंका में 1987 के जातीय संघर्ष के दौरन भारत के साथ एक समझौता हुआ था जिसके तहत भारतीय सेना श्रीलंका में हस्तक्षेप करने पहुंची थी। समझौते के तहत एक भारतीय शांति रक्षा सेना बनाई गई थी, जिसका उद्देश्य श्रीलंका की सेना और लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) जैसे उग्रवादी संगठनों के बीच चल रहे गृहयुद्ध को खत्म करना था।
उस दौरान लिट्टे चाहता था कि भारतीय सेना वापस चली जाए, क्योंकि वह हमारी सेना के श्रीलंका में जाने की वजह से अलग देश की मांग नहीं कर पा रहा था। हालांकि जब 1989 में वीपी सिंह की सरकार आयी तो उन्होंने भारतीय सेना श्रीलंका से वापस बुला लिया, जिससे लिट्टे को काफी राहत मिली। लेकिन 1991 में चुनाव को दौरान लिट्टे को डर सता रहा था कि कहीं राजीव प्रधानमंत्री बन गए तो वह दोबारा श्रीलंका में सेना भेज सकते हैं। इसी वजह के चलते लिट्टे उग्रवादियों ने 21 मई 1991 को तमिनलाडु की एक चुनावी सभा में राजीव गांधी पर आत्मघाती हमला कर उनकी जान ले ली।
Source : News Nation Bureau