राजीव गांधी हत्याकांड के छह दोषियों की रिहाई के बाद केंद्रीय खुफिया एजेंसियां और तमिलनाडु पुलिस की विशेष शाखा हाई अलर्ट पर है, इन खबरों के बीच कि निष्क्रिय हो चुके लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) फिर से खुद को संगठित करने की कोशिश कर रहा है. अक्टूबर 2021 में लिट्टे के पूर्व खुफिया संचालक सतकुनम उर्फ सबेसन की गिरफ्तारी से पता चला था कि तमिल राष्ट्रवादी आंदोलन अपने प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन की हत्या के बाद खुद को फिर से सक्रिय करने की कोशिश कर रहा था.
सतकुनम, जो लिट्टे का एक शीर्ष संचालक था और प्रभाकरन और लिट्टे के खुफिया प्रमुख पोट्टू अम्मान के आंतरिक घेरे में था, उसने लिट्टे और तमिल आंदोलन को पुनर्जीवित करने के लिए श्रीलंका में कुछ गुर्गो को बड़ी राशि हस्तांतरित की थी. एनआईए जांचकर्ता पाकिस्तान, दुबई और श्रीलंका से हथियारों और नशीले पदार्थो की तस्करी के संचालन के लिए उसके आंदोलन पर नजर रख रहे थे, क्योंकि तस्करी के इन अभियानों की आय का उपयोग लिट्टे की गतिविधियों को निधि देने के लिए किया जाता था.
केंद्रीय खुफिया एजेंसियां और राज्य पुलिस कुछ ऐसे लोगों के इतिहास का पता लगा रही है, जिनका सतकुनम और लिट्टे के कुछ अन्य पूर्व गुर्गो से संपर्क था. पुलिस और एजेंसियों के अनुसार, राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई तमिलनाडु और श्रीलंका में लिट्टे के पुनरुद्धार के लिए एक ट्रिगर बन सकती है.
खुफिया सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि तमिलनाडु के साथ-साथ श्रीलंका में कई लिट्टे स्लीपर सेल हैं और दोषियों की रिहाई से उनकी गतिविधि बढ़ सकती है, क्योंकि लिट्टे के कुछ पूर्व गुर्गे अभी भी तमिल राष्ट्र की महत्वाकांक्षा रखते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. अन्नपूर्णा सुंदरेशन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा : तमिल राष्ट्रवाद और तमिल आंदोलन लिट्टे से शुरू नहीं हुए और न ही लिट्टे के साथ समाप्त हुए. यह तय है कि राजीव हत्याकांड में छह दोषियों की रिहाई आंखों के सामने देखने से कहीं अधिक है और भले ही ये लोग किसी भी गतिविधि में शामिल न हों, अन्य भूमिगत कार्यकर्ता हैं जो संभावित खतरा हो सकते हैं.
Source : IANS