रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने दो टूक कहा है कि भारत हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) क्षेत्र में एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी व्यवस्था का आह्वान करता है, जो राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित हों. उन्होंने कहा कि भारत दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में भी नेविगेशन की आजादी का समर्थन करता है. गौरतलब है कि चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, जो हाइड्रोकार्बन का बड़ा स्रोत है. अन्य देश भी इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं जिससे इस क्षेत्र में क्षेत्रीय विवाद पैदा होते हैं. समुद्र पर संप्रभुता के चीन के व्यापक दावों ने प्रतिस्पर्धी दावेदारों ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम को विरोध करने पर मजबूर किया है.
आसियान की बैठक में चीन के सामने दो टूक
राजनाथ सिंह ने ये बातें एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) के रक्षा मंत्रियों की आठवीं बैठक को संबोधित करते हुए कहीं. राजनाथ के संबोधन के दौरान मंच पर चीन के विदेश मंत्री जनरल वी फेंगे भी मौजूद थे. राजनाथ ने राज्य प्रायोजित आतंकवाद का भी मुद्दा उठाया और पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उस पर आतंकवाद को बढ़ावा देने, उसका समर्थन और फंडिंग करने तथा आतंकवादियों को शरण देने का आरोप लगाया. 'आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग-प्लस' में वर्चुअल संबोधन के दौरान सिंह ने समुद्री सुरक्षा चुनौतियों पर भारत की चिंताओं को भी रेखांकित किया. साथ ही उन्होंने अहम समुद्री मार्गों में चीन के आक्रामक व्यवहार का परोक्ष जिक्र करते हुए कहा कि दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों ने इस क्षेत्र में ध्यान आकर्षित किया. सिंह ने देशों की क्षेत्रीय अखंडता और सम्प्रभुता, संवाद के जरिए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान तथा अंतरराष्ट्रीय नियमों और कानूनों के अनुपालन के आधार पर इस क्षेत्र को मुक्त, खुला और समावेशी बनाने का आह्वान किया.
यह भी पढ़ेंः मेहुल चोकसी को कार्रवाई का पहले से अंदेशा था, मिटा दिए थे सबूत- CBI
दक्षिण चीन सागर में बढ़ते तनाव पर चिंता
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आचार संहिता वार्ता से दक्षिण चीन सागर में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे, क्योंकि वहां तनाव बढ़ गया है, जिससे इस क्षेत्र और उससे आगे के सभी देशों को चिंता हो रही है. मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत इन अंतर्राष्ट्रीय जलमार्गों में नेविगेशन, ओवर फ्लाइट और अबाध वाणिज्य की स्वतंत्रता का समर्थन करता है. सिंह हाल के हफ्तों में दक्षिण चीन सागर में बढ़ते क्षेत्रीय तनाव का जिक्र कर रहे थे. उन्होंने कहा, 'भारत ने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए दृष्टिकोण और मूल्यों के आधार पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने सहकारी संबंधों को मजबूत किया है.' इस वर्ष ब्रुनेई की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक के लिए मंत्री ऑनलाइन एकत्र हुए. एडीएमएम-प्लस आसियान के 10 देशों और उसके आठ वार्ता सहयोगियों भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस और अमेरिका का मंच है.
यह भी पढ़ेंः बंगाल बीजेपी को मुकुल देंगे झटका, बीजेपी एमएलए-एमपी टीएमसी के संपर्क में
चौतरफा घिरता जा रहा चीन
चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है जो हाइड्रोकार्बन का बड़ा स्रोत है. अन्य देश भी इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं जिससे इस क्षेत्र में क्षेत्रीय विवाद पैदा होते हैं. समुद्र पर संप्रभुता के चीन के व्यापक दावों ने प्रतिस्पर्धी दावेदारों ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम को विरोध करने पर मजबूर किया है. इस महीने की शुरुआत में मलेशिया ने उसके हवाई क्षेत्र के आरोप में चीनी विमान को रोकने के लिए जेट विमानों को आगे भेजा था. अपने आर्थिक क्षेत्र में फिलीपींस ने चीनी जहाजों की लगातार मौजूदगी का विरोध किया है. चीन से खतरों को देखते हुए वियतनाम ने अपने समुद्री बलों का विस्तार किया और इंडोनेशिया ने अपनी नौसेना को मजबूत करने का फैसला किया है.
HIGHLIGHTS
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर चीन को सिखाया संप्रभुत्ता का पाठ
- आक्रामक नीति से चौतरफा घिरता जा रहा है बीजिंग
- पाकिस्तान को भी आतंकवाद पर सिखाया कड़ा सबक