राष्ट्रपति चुनाव (Rajya Sabha elections) को लेकर दिल्ली में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में देशभर के विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाई ताकि विपक्षी एकता को मजबूत कर एन डी ए के प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी जा सके. बैठक के लिए ममता बनर्जी की तरफ से 22 राजनीतिक दलों को आमंत्रण भेजा गया था जिसमें छोटे बड़े सभी विपक्षी दल शामिल थे, लेकिन आज हुई बैठक में 17 राजनीतिक दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया. आम आदमी पार्टी शिरोमणि अकाली दल, बी जे डी टीआरएस ने बैठक में आने से पहले ही मना कर दिया था. जो नाम बैठक के दौरान उठे उनमें एनसीपी प्रमुख शरद पवार, महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी, एनके प्रेमचंद्रन और एनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला शामिल हैं. सबसे पहले चर्चा शरद पवार के नाम पर रही.
विपक्षी पार्टियों की हुई इस बैठक की अध्यक्षता एनसीपी नेता शरद पवार ने की और और राष्ट्रपति चुनाव के लिए किसी एक नाम पर विपक्ष की सहमति बनाने की कोशिश बैठक में की गई. हालांकि बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शरद पवार को ही उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव रखा और बैठक में मौजूद सभी विपक्षी राजनीतिक दलों ने समर्थन भी किया लेकिन शरद पवार ने स्वीकार नहीं किया, लिहाजा विपक्षी पार्टियों की एक और बैठक अब अगले हफ्ते होगी और बैठक से पहले शरद पवार मलिकार्जुन खरगे और ममता बनर्जी सभी विपक्षी दलों से बात कर किसी एक नाम पर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे.
विपक्षी पार्टियों को लामबंद करने की कोशिश
बैठक में शरद पवार के अलावा किसी और नाम पर भी चर्चा हुई इसकी जानकारी तो नहीं दी गई लेकिन ममता बनर्जी ने कहा कि विपक्ष को एकजुट करने के लिए बैठक पहली शुरुआत है उनकी तरफ से कोशिश होगी कि जब अगली बैठक हो तो किसी एक नाम पर सहमति बने . एन डी ए के प्रत्याशी को कड़ी टक्कर देने और अपनी ताकत दिखाने के लिए ममता बनर्जी सभी विपक्षी पार्टियों को लामबंद करने की कोशिश कर रही है लेकिन क्या सभी विपक्षी दल ममता बनर्जी को अपना नेता मान कर उनके पीछे जाएंगे. इसमें अभी बैठक में पहुंचे तमाम नेताओं को ही संदेह है और गाहे-बगाहे तो कांग्रेस साफ करती रही है की असल विपक्षी पार्टी वही है और नेता भी वही रहेंगी.
अकाली दल ने पहले ही झटका दे दिया है
अब ममता बनर्जी की कवायद किस हद तक कामयाब होगी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बैठक में सभी विपक्षी 8 मुख्यमंत्रियों को भी बुलाया गया था लेकिन उस दल के नेता शामिल हुए लेकिन कोई भी मुख्यमंत्री नहीं पहुंचा, लिहाजा मामले की गंभीरता को भांपते हुए ममता बनर्जी ने एक बार फिर आमंत्रण स्वीकार नहीं करने वाले दलों से बात करने की बात कह रही है और अगली मीटिंग में उनको शामिल होने के लिए राजी भी कराने की बात कह रही हैं लेकिन विपक्षी एकता को मजबूत कर ताकत दिखाने की ममता बनर्जी की मनसा को बीजेडी , टीआरएस, आम आदमी पार्टी और अकाली दल ने पहले ही झटका दे दिया है.
अब देखना दिलचस्प होगा कि जब अगले हफ्ते विपक्षी पार्टियों की बैठक होती है तो उसमें कितने दल शामिल होते हैं और क्या एक नाम पर विपक्ष की सहमत बनती है और सबसे बड़ी बात की क्या सभी दल ममता बनर्जी के नेतृत्व को स्वीकार करते हैं.
Source : Vikas Chandra