देशभर में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं और हालात फिर बिगड़ते गए हैं. कोरोना के कारण हर तरफ खतरा बढ़ गया है. ऐसे में दिल्ली की सीमाओं पर बैठे सैंकड़ो की संख्या में किसानों पर भी कोरोना का सीधा खतरा बना हुआ है. लेकिन किसान इस आंदोलन को न खत्म करने की बात दोहरा रहे हैं. बीते कुछ समय से कोरोना ने ऐसी स्पीड पकड़ी कि सात-आठ महीने का रिकॉर्ड टूट गया हैं. देश में पहली बार अब एक दिन में एक लाख से ज्यादा मरीज मिल रहे हैं. लेकिन कृषि कानून के खिलाफ हो रहे विरोध में किसान ऐसे खतरा होने के बावजूद हटने का विचार नहीं कर रहें हैं.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने इस मसले पर बात करते हुए कहा कि, इसको शाहीन बाग मत बनाने दो उन लोगों को. पूरे देश मे लॉकडाउन लग जाए लेकिन ये आंदोलन खत्म नहीं होगा. जो भी कोरोना गाइडलाइंस होंगी उसका पालन आंदोलन स्थलों पर किया जाएगा.
हालांकि बॉर्डर पर किसान कोरोना नियमो की साफ अनदेखी भी कर रहें हैं. किसान ना तो मुंहँ पर मास्क और न ही सेनिटाइजर इस्तेमाल करते नजर आते हैं. जिससे कोरोना का खतरा किसानों पर ज्यादा बढ़ जाता है.
दिल्ली सरकार द्वारा जारी किए गए हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को 3,548 नए मामले दर्ज होने के बाद कुल मामले 6,79,962 हो गए हैं. वहीं पॉजिटिविटी रेट 5.54 प्रतिशत है.
यह लगातार चौथा दिन है कि जब दिल्ली में 3,500 से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं. इससे पहले रविवार को यहां 4,033 नए मामले दर्ज किए गए थे, जो कि साल 2021 का सबसे बड़ा दैनिक आंकड़ा था. वहीं 3 अप्रैल को 3,567 और 2 अप्रैल को 3,594 मामले सामने आए थे.
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दूसरी ओर सरकार और किसान संगठनों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है. दूसरी ओर फिर से बातचीत शुरू हो इसके लिए किसान और सरकार दोनों तैयार है, लेकिन अभी तक बातचीत की टेबल पर नहीं आ पाए हैं. दरअसल, तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम,2020; मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम2020और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम,2020पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता हेतु सरकार का विरोध कर रहे हैं .