मोदी सरकार के तीनों कृषि कानून वापस लेने के फैसले के बावजूद इस मसले पर आर-पार लड़ाई की बार-बार चेतावनी देने वाले किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि फिलहाल किसान आंदोलन वापस नहीं होगा. किसान उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. इसके साथ ही टिकैत ने कहा सरकार अब एमएसपी के साथ-साथ किसानों से जुड़े दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करे. गौरतलब है कि कोरोना काल में राष्ट्र के नाम अपने 11वें संबोधन में पीएम मोदी ने किसानों के आगे झुकते हुए तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने बयान में कहा है, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2020 में पहली बार अध्यादेश के रूप में लाए गए सभी तीन किसान-विरोधी, कॉर्पोरेट-समर्थक काले कानूनों को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले की घोषणा की है. उन्होंने गुरु नानक जयंती के अवसर पर यह घोषणा करने का निर्णय लिया. संयुक्त किसान मोर्चा इस निर्णय का स्वागत करता है और उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा. अगर ऐसा होता है, तो यह भारत में एक वर्ष से चल रहे किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत होगी. हालांकि इस संघर्ष में करीब 700 किसान शहीद हुए हैं. लखीमपुर खीरी हत्याकांड समेत, इन टाली जा सकने वाली मौतों के लिए केंद्र सरकार की जिद जिम्मेदार है.
संयुक्त किसान मोर्चा प्रधानमंत्री को यह भी याद दिलाना चाहता है कि किसानों का यह आंदोलन न केवल तीन काले कानूनों को निरस्त करने के लिए है, बल्कि सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए भी है. किसानों की यह अहम मांग अभी बाकी है. इसी तरह बिजली संशोधन विधेयक को भी वापस लिया जाना बाकी है. एसकेएम सभी घटनाक्रमों पर संज्ञान लेकर जल्द ही अपनी बैठक करेगा और यदि कोई हो तो आगे के निर्णयों की घोषणा करेगा.
Source : News Nation Bureau