कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों का आंदोलन आज 72वें दिन में प्रवेश कर गया है. सरकार अभी तक किसानों को शांत करने में विफल रही है और दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी समाधान नहीं निकल पाया है. अब सरकार के लिए स्थिति सिर दर्द बन चुकी है. इस बीच किसानों के आंदोलन में मोदी विरोधी आवाज भी बुलंद हैं. प्रधानमंत्री के खिलाफ भाषणबाजी और अपशब्द कहे जा रहे हैं. हालांकि भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गाजीपुर बॉर्डर पर किसान मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलने वालों को हिदायत दी है.
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किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 3-4 दिन से गाजीपुर बॉर्डर पर एक अलग विचारधारा के लोग आए हैं. मैं उन्हें आगाह कर देना चाहता हूं कि जो गलत विचारधारा के लोग यहां होंगे, वो अपना स्थान छोड़कर चला जाना. अब बहुत हो गया है. उन्होंने कहा, 'यहां पूर्ण रूप से बैन है कि कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नहीं बोलेगा. कोई उनको गाली नहीं देगा.' राकेश टिकैत ने कहा कि हम अपने मंच का इस्तेमाल इस तरह के लोगों नहीं करने देंगे.
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इस दौरान राकेश टिकैत ने आंदोलन और तेज करने के लिए किसानों को एक नया फॉर्मूला दिया. टिकैत ने कहा कि हर गांव से एक ट्रैक्टर पर 15 आदमी 10 दिन का समय लेकर आएं, और इस तरह हर किसान इस आंदोलन में शामिल हो सकेगा और गांव लौटकर खेती भी कर सकेगा. टिकैत ने कहा, 'किसान संगठनों के नेता सरकार से बात करने के लिए हमेशा तैयार हैं, लेकिन सरकार बात ही नहीं कर रही. दरअसल, सरकार इस आंदोलन को लंबा चलने देना चाहती है.'
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उन्होंने कहा कि चूंकि आंदोलन को ज्यादा लंबे वक्त तक चलाना है, इसलिए किसानों को एक फॉर्मूला बताया गया है, ताकि हर किसान भागीदारी कर सके और आंदोलन और ज्यादा लंबे वक्त तक चल सके. टिकैत ने कहा कि इस फॉर्मूले के मुताबिक यदि गांव के लोग आंदोलन के लिए कमर कस लें, तो हर गांव के 15 आदमी 10 दिन तक आंदोलन स्थल पर रहेंगे और उसके बाद 15 लोगों का दूसरा जत्था आ जाएगा.उनसे पहले जो धरना स्थल पर रहे, वे गांव जाकर अपने खेत में काम कर सकेंगे. राकेश टिकैत ने मंच से कहा कि हर गांव से एक ट्रैक्टर, 15 आदमी और 10 दिन के फार्मूले पर काम करो, फिर आंदोलन चाहे 70 साल चले, कोई दिक्कत नहीं है.