आज से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई शुरू होगी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच में इस मामले की सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के इस भूमि विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई के लिए पीठ बनाई है।
हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांट दिए जाने का आदेश दिया था।
हाई कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए लखनऊ बेंच के फैसले पर रोक लगाते हुए विवादित भूमि पर यथास्थिति रखने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट ने जो आदेश दिया है, वैसी पक्षकारों ने अपील ही नहीं की थी।
गौरतलब है कि 5 दिसंबर 2017 को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले में किसी तरह के स्थगन की इजाजत नहीं दी जाएगी।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर की पीठ ने संबंधित पक्षों से कहा कि था कि वह 12 हफ्ते के अंदर आठ भाषाओं में मौजूद उन दस्तावेजों का अंग्रेजी में अनुवाद करें, जिन पर उनकी दलील का दारोमदार हो सकता है।
इसके साथ ही अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह इलाहाबाद हाई कोर्ट में विवाद के निपटारे के लिए रिकार्ड किए गए साक्ष्यों का अनुवाद दस हफ्तों में करे।
अदालत ने कहा कि आठ भाषाओं में मौजूद एक लाख पन्नों की सामग्री के अंग्रेजी में अनुवाद के लिए उसके द्वारा तय समय अंतिम है और अब कोई स्थगन नहीं दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की जल्द से जल्द सुनवाई के लिए आग्रह किया था जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े ने मामले की तैयारी के लिए समय मांगा था क्योंकि दस्तावेज बेहद ज्यादा हैं।
इस बीच उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाने के लिए पहल का दावा करते हुए समझौते का मसौदा तैयार करने का ऐलान किया है।
बोर्ड के मसौदे के अनुसार, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाए और मस्जिद का निर्माण लखनऊ में कराया जाए।
साथ ही शिया वक्फ बोर्ड ने लखनऊ के घंटाघर के पास ट्रस्ट की जमीन पर मस्जिद बनाने का प्रस्ताव दिया है। साथ ही कहा गया है कि इस मस्जिद का नाम किसी राजा के नाम पर न होकर अमन की मस्जिद रखा जाए।
वसीम रिजवी ने कहा कि अयोध्या में जमीन पर शिया वक्फ बोर्ड अपना अधिकार कस्टोडियन होने के नाते हटा रहा है। हम उस पर कभी भी दावा नहीं करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मामले में सिर्फ झगड़ा बढ़ा रहा है। अब सर्वोच्च न्यायालय इस मसौदे पर फैसला करेगा।
वहीं 5 दिसबंर 2017 को हुई सुनवाई में मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि इस विवादित मामले की सुनवाई जुलाई 2019 के बाद की जानी चाहिए।
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HIGHLIGHTS
- आज से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई शुरू होगी
- चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच में इस मामले की सुनवाई होगी
Source : News Nation Bureau