अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर के भूमिपूजन का समय एक ऐसा ऐतिहासिक पल था जिसे भारतीय राजनीति के सर्वोत्तम से भी उत्तम क्षण के रूप में रेखांकित किया जाएगा. वाराणसी और अयोध्या के पंडितों द्वारा आयोजित इस भूमिपूजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे.
पीएम मोदी ने पूजा की सभी रस्में निभाईं. भूमि पूजन के लिए खोदे गए गड्ढे में विभिन्न धार्मिक स्थानों से लाई गई पवित्र मिट्टी और 151 नदियों के जल को चढ़ाया गया. इस दौरान आरएसएस प्रमुख, यूपी के मुख्यमंत्री और राज्यपाल कुछ दूरी पर बैठे रहे. वीएचपी नेता दिवंगत अशोक सिंघल के भतीजे सलिल सिंघल और उनकी पत्नी भी समारोह में उपस्थित थे.
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राम मंदिर आंदोलन के शीर्षस्थ लोगों में शुमार सीएम योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ यकीनन आज बेहद खुश होंगे. खासकर यह देखकर कि देश और दुनिया के करोड़ों हिंदुओं के आराध्य पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मभूमि पर करीब 500 साल बाद भव्यतम राम मंदिर की बुनियाद रखी गई.
बता दें कि इसके पहले सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर न बनने तक टेंट से हटाकर चांदी के सिंहासन पर एक अस्थाई ढांचे में ले जाने का काम सीएम योगी ने ही किया था. इसके पहले दिसंबर 1949 में तब अयोध्या में रामलला के प्रकटीकरण के समय उनके दादा गुरु ब्रह्मलीन पीठाधीश्वर दिग्विजय नाथ थे. यही नहीं 1986 में जब मंदिर का ताला खुला तो ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अयोध्या में मौजूद थे.
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वहीं श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा है कि अब करोड़ों हिंदू राम भक्तों की अभिलाषा और मनोरथ से श्रीराम जन्मभूमि स्थान पर दिव्य भव्य मंदिर का निर्माण होगा, मंदिर के निर्माण को भारत का निर्माण बताया.
उन्होंने कहा कि "राम मंदिर के निर्माण के लिए सभी लोग तन-मन, धन अर्पण करने के लिए तैयार हैं. मंदिर का निर्माण शीघ्र होगा. जिससे समस्त भक्तों की कामनाओं की पूर्ति होगी. हिंदुओं की अभिलाषा है कि वे अपनी आंखों से दिव्य, भव्य मंदिर का निर्माण होता देख सकें."