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Ram Mandir: जानिए कौन हैं अरुण योगिराज? जिन्होंने राम मंदिर के लिए बनाई है रामलला की मूर्ति

Ayodhya Ram Mandir Inauguration: अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए शिल्पकार अरुण योगिराज द्वारा बनाई गई रामलला की मूर्ति का चयन हुआ है. अरुण योगिराज द्वारा बनाई गई कई मूर्तियां देश के अलग-अलग कोने में मौजूद हैं.

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Suhel Khan
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Arun Yogiraj

Arun Yogiraj ( Photo Credit : Social Media)

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Ayodhya Ram Mandir Inauguration: अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तारीख जैसे-जैसे तैयारियां भी जोरों पर हैं. राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. उस मूर्ति का चयन कर लिया गया है. मूर्ति को कर्नाटक के मूर्तिकाल अरुण योगिराज ने आकार दिया है. राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त है. प्राण प्रतिष्ठा के लिए हजारों संतों और नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है. पीएम मोदी मुख्य यजमान के तौर पर रा मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए मौजूद होंगे. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. ऐसे में बहुत से लोग ये जानने को उत्सुक हैं कि आखिर अरुण योगिराज कौन हैं. जिन्होंने रामलला की मूर्ति को आकार दिया है. जिस मूर्ति का दुनियाभर के रामभक्तों को इंतजार है.

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कौन हैं अरुण योगिराज?

रामलला की मूर्ति को आकार देने वाले अरुण योगिराज कर्नाटक में मैसूर के रहने वाले हैं. उन्होंने ही रामलला की 51 इंच की मूर्ति को आकार दिया है. अरुण योगिराज मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकारों की पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं. वह अपने परिवार के पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं. यही नहीं अरुण योगिराज वर्तमान में भारत के सबसे अधिक मांग वाले मूर्तिकार हैं. जिन्हें पीएम मोदी भी काफी पसंद करते हैं. 37 वर्षीय अरुण योगिराज मैसूरु महल के शिल्पकारों के परिवार से हैं. अरुण के पिता ने गायत्री और भुवनेश्वरी मंदिर के लिए भी काम किया है. अरुण योगिराज ने मैसूर यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की है. पीएम मोदी भी कई मौकों पर उनकी सराहना कर चुके हैं.

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अरुण के दादा भी थे शिल्पी

बता दें कि अरुण योगिराज के पिता योगीराज भी एक शिल्पी यानी मूर्तिकार हैं. उनसे पहले उनके दादा बसवन्ना भी मूर्ति बनाने का काम किया करते थे. जिन्हें मैसूर के राजा से संरक्षण मिला हुआ था. अपने पिता और दादा के नक्शेकदम पर चलते हुए अरुण योगिराज भी बचपन से ही मूर्तियों की नक्काशी करने लगे थे. हालांकि उन्होंने पहले अपनी एमबीए की डिग्री पूरी की और उसके बाद एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लगे. लेकिन शिल्पकारों से परिवार से आने की वजह से अरुण योगिराज के अंदर एक शिल्पकार पनपता रहा और साल 2008 में उस शिल्पकार को दुनिया के सामने लाने के लिए अरुण ने नौकरी छोड़ने का फैसला ले लिया.

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देश के सबसे ज्यादा डिमांड वाले मूर्तिकार हैं अरुण 

अरुण योगिराज द्वारा तैयार की गई कई विशेष मूर्तियां देशभर में स्थापित हैं. इसी के चलते अरुण योगिराज की देश के शिल्पकारों में सबसे ज्यादा मांग है. दिल्ली में इंडिया गेट पर लगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति को भी शिल्पकार अरुण योगिराज ने ही तराशा है. बता दें कि पीएम मोदी की इच्छा थी कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती से पहले उनके सम्मान में इंडिया गेट पर एक मूर्ति की स्थापना की जाए.

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इस मूर्ति को अरुण योगिराज ने ही तराशा था. केदारनाथ में स्थापित आदि शंकराचार्य की प्रतिमा को भी अरुण योगिराज ने ही आकार दिया है. यही नहीं उन्होंने मैसूरु में महाराजा जयचामराजेंद्र वडेयार की 14.5 फुट की सफेद संगमरमर की प्रतिमा भी बनाई है. इसके अलावा महाराजा श्री कृष्णराज वाडियार चतुर्थ और स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद संगमरमर की मूर्ति को भी अरुण योगिराज ने ही आकार दिया है.

HIGHLIGHTS

  • अरुण योगिराज ने बनाई है रामलला की मूर्ति
  • राम मंदिर में की जाएगी मूर्ति की स्थापना
  • MBA पास हैं रामलला की मूर्ति के शिल्पकार

Source : News Nation Bureau

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