17 नवंबर 2019 को भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई सेवानिवृत हो जाएंगे, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायरमेंट से पहले अभी उनको देश के कुछ खास मुकदमों का फैसला सुनाना बाकी है. दीपावली की छुट्टियों के बाद सोमवार को कोर्ट फिर से खुल गए हैं. अगर देखा जाए तो अब उनके पास इन महत्वपूर्ण फैसलों पर निर्णय सुनाने के लिए महज कुछ ही दिन और हैं, इन्हीं दिनों में उनको देश के इन चर्चित और बड़े मामलों में अपना ऐतिहासिक निर्णय सुनाना है. आपको बता दें कि ये ऐतिहासिक फैसले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद, सबरीमाला मंदिर और राफेल घोटाला जैसे बड़े मामले शामिल हैं.
सोमवार को दीपावली की छुट्टियों के बाद कोर्ट खुल गया है, इसके बाद अभी 11 और 12 नवंबर को फिर से कोर्ट बंद रहेगा. जिसके चीफ जस्टिस के पास सिर्फ 4 दिनों का समय इन ऐतिहासिक फैसलों के लिए बचेगा. चीफ जस्टिस 17 को रिटायर हो रहे हैं ऐसे में उस दिन वो शायद ही कोई फैसला सुना पाएं क्योंकि उस दिन वो अपने रिटायरमेंट की औपचारिकताएं निभाई जाएंगी, इसलिए 16 नवंबर तक ही ये सभी ऐतिहासिक फैसले चीफ जस्टिस द्वारा सुना दिए जाएंगे. तो आइए आपको बताते हैं चीफ जस्टिस रिटायरमेंट से पहले देश के कौन-कौन से बड़े मामलों पर फैसला सुनाने वाले हैं.
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अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी विध्वंस विवाद
भारत में राजनीति की धुरी बन चुके अयोध्या विवाद में सभी की नजरें टिकी हैं. पिछले 70 सालों से चली आ रही 2.77 एकड़ भूमि पर हो रही राजनीति से दो समुदाओं में जारी संघर्ष का फैसला आएगा देश में हर किसी की नजरें राम जन्मभूमि-बाबरी विध्वंस के विवाद के फैसले पर लगी हुई हैं. CJI की अध्यक्षता वाली 5 न्यायाधीशों की पीठ ने मामले में 40 दिनों तक लगातार सुनवाई की है इसके बाद फैसला 16 अक्टूबर को सुरक्षित रख लिया गया है. अयोध्या विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपीलें दायर की गई थीं, जिसमें से 4 सिविल सूट में वितरित की गई हैं, जिसने तीन पक्षों के बीच 2.77 एकड़ विवादित भूमि का समान रूप से विभाजन किया था.
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राफेल डील में भ्रष्टाचार पर आएगा फैसला
CJI की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष भारतीय राजनीति का एक और बड़ा मामला लंबित है इस पर भी अभी सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आना बाकी है. सर्वोच्च न्यायालय में राफेल लड़ाकू विमान की डील को लेकर साल 2018 के फैसलों को चुनौती देने वाली याचिकाएं हैं जिनकी समीक्षा सुप्रीम कोर्ट को करनी है. इन याचिकाओं में नरेंद्र मोदी सरकार को फ्रांस से 36 राफेल फाइटर जेट की खरीद पर क्लीन चिट दी गई हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने 10 मई को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, ये याचिकाएं पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी द्वारा दायर की गईं थीं. इन याचिकाओं को लेकर अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने राफेलडील में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की बात कहते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी.
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सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर फैसला
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में एक और बड़े केस में फैसला सुनाना बाकी है. चीफ जस्टिस पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ, शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा की मांग पर अपना फैसला सुनाएगी, इसमे केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति पर फैसला सुनाया जाएगा. सर्वोच्च न्यायायल ने 6 फरवरी को 65 याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें अदालत के 28 सितंबर, 2018 के फैसले की समीक्षा करने की अनुमति देना भी शामिल था, इस फैसले में केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी गई थी. याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में यह तर्क दिया था कि सबरीमाला में भगवान अयप्पा की पूजा की जाती है और वो एक ब्रह्मचारी थे इसलिए अदालत को 10-50 साल के मासिक धर्म में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की परंपरा में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
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राहुल गांधी के बयान 'चौकीदार चोर है' पर भी आएगा फैसला
लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील में कथित तौर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए चुनावी रैलियों में पीएम मोदी को 'चौकीदार चोर है' कहकर संबोधित किया था, इस मामले में भी कोर्ट में केस दायर किया गया था, जिसका फैसला सुनाया जाना है. इस साल मई में, राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगी थी और भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी की याचिका पर उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही को बंद करने की मांग की थी. हालांकि, CJI ने फैसले को बरकरार रखते हुए उसे बंद नहीं करने का फैसला किया था.
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आरटीआई के दायरे में सीजेआई हों या नहीं
चार अप्रैल को सीजेआई के नेतृत्व वाली पांच जजों की पीठ ने उस अपील पर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसमें सीजेआई कार्यालय को RTI के दायरे में लाने की अनुमति देने को लेकर लगाई गई थीं. आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने यह याचिका दाखिल की थी.