केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram vilas paswan) का बृहस्पतिवार को निधन हो गया. उनके बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट के जरिए यह जानकारी दी. लोक जनशक्ति पार्टी के 74 वर्षीय संरक्षक पासवान का कुछ दिन पहले एक अस्पताल में हृदय का ऑपरेशन हुआ था. वह पांच दशक से अधिक समय से सक्रिय राजनीति में थे और देश के जाने-माने दलित नेताओं में से एक थे. पासवान उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्री थे.
रामविलास पासवान 9 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के सांसद रहें. रामविलास पासवान को भारतीय राजनीति का ऐसा नेता माना जाता है जो बहुत जल्द ही हवा का रुख पहचान लेते थे. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव रामविलास पासवान को मौसम वैज्ञानिक बोलते थे.
इसे भी पढ़ें:पासवान के निधन से देश में ऐसा शून्य पैदा हुआ है जो शायद कभी नहीं भरेगा: PM मोदी
1946 में पासवान की हुई थी पैदाइश
पासवान का जन्म बिहार के खगड़िया जिले के जहरुन पासवान और सिया देवी के घर 5 जुलाई 1946 को एक दलित परिवार में हुआ था. पासवान ने कोशी कॉलेज, खगड़िया और पटना विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक और मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल की. उन्हें 1969 में बिहार पुलिस में डीएसपी के रूप में चुना गया था.
जयप्रकाश आंदोलन से निकले थे रामविलास पासवान
रामविलास पासवान राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन से की. पासवान जयप्रकाश नारायण के समाजवादी आंदोलन से निकले थे. 1969 में रामविलास पासवान पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरें. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार बनकर वो चुनावी मैदान में उतरे. वो इसमें जीत हासिल की. इसके बाद वो 1974 में लोकदल से जुड़ गए. लोकदल के वो महासचिव बनाए गए.
आपातकाल का विरोध करने पर गए थे जेल
पासवान ने आपातकाल का विरोध भी किया. जिसकी वजह से 1975 में वो जेल भी गए.वे व्यक्तिगत रूप से राज नारायण, कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा जैसे आपातकाल के प्रमुख नेताओं के करीबी थे. पासवान ने मोरारजी देसाई के साथ भाग लिया और पार्टी के अध्यक्ष के रूप में लोकबंधु राज नारायण के नेतृत्व में जनता पार्टी-एस में शामिल हुए और बाद में इसके अध्यक्ष बने. 1975 के आपातकाल का विरोध करते हुए पासवान जेल भी गए.
हाजीपुर सीट से जीतकर पहुंचे थे लोकसभा
रामविलास पासवान साल 1977 में पहली बार जनता पार्टी के उम्मीददवार के रूप में हाजीपुर सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. हाजीपुर में उन्होंने रिकॉर्ड वोट से जीत हासिल कर सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा. इसके बाद साल 1980 के लोकसभा चुनावों में इसी सीट से पासवान दोबारा संसद पहुंचे.
पासवान 1989 में 9 वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए और उन्हें विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार में केंद्रीय श्रम और कल्याण मंत्री नियुक्त किया गया.
1996 में पहली बार केंद्रीय मंत्री बने थे पासवान
साल 1996 में, उन्होंने लोकसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन या प्रस्ताव का भी नेतृत्व किया क्योंकि प्रधान मंत्री राज्य सभा के सदस्य थे. यह वह वर्ष भी था जब पासवान पहली बार केंद्रीय रेल मंत्री बने थे. उन्होंने 1998 तक उस पद को जारी रखा. इसके बाद, पासवान अक्टूबर 1999 से सितंबर 2001 तक केंद्रीय संचार मंत्री थे, जब उन्हें कोयला मंत्रालय में स्थानांतरित किया गया था वो अप्रैल 2002 में इस पद पर बने रहें.
और पढ़ें:केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का निधन, लंबे समय से थे बीमार
2000 में बनाई थी एलजेपी
2000 में, लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) बनाने के लिए पासवान जनता दल से अलग हो गए. 2004 के लोकसभा चुनावों के बाद, पासवान संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (UPA Government) में शामिल हो गए और उन्हें रसायन और उर्वरक मंत्रालय और इस्पात मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री बनाया गया.
एनडीए में दोबार बने केंद्रीय मंत्री
पासवान हाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से 2014 के आम चुनाव के बाद 16 वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने गए थे, जबकि उनके बेटे चिराग पासवान बिहार में भी जमुई निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे. पासवान एनडीए का हिस्सा बन गए थे. पासवान को मई 2014 में फिर से उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का प्रभार दिया गया, जो 2019 में दूसरे मोदी मंत्रालय में जारी रहा.
Source : News Nation Bureau