चीन (China) से आयातित कोविड-19 रैपिड टेस्ट किट में गड़बड़ी पाए जाने के बाद इसके इस्तेमाल पर आईसीएमआर ने रोक लगा दिया गया. रैपिड टेस्ट किट (rapid test kit) के लिए किए जाने वाले भुगतान पर भी रोक लगा दी गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने इसकी सूचना देते हुए कहा कि रैपिड टेस्ट किट पर रोक लगा दी गई है.
लव अग्रवाल ने बताया, 'रैपिड टेस्ट किट का टेंडर हुआ था. फिल्ड की शिकायतों पर आईसीएमआर ने उनका भुगतान रोक दिया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि डेडिकेट कोविड हॉस्पिटल पर जोर देना होगा. जिससे अन्य बीमारियों का इलाज अन्य अस्पतालों में चला रहे.
उन्होंने कहा कि टैली मेडिसिन पर भी काम कर रहे हैं. हमारे पास टेस्ट किटों की कमी नहीं है. जैसे-जैसे इसकी जरूरत होगी, हम किट मंगाएंगे.
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पीएम मोदी ने सभी राज्यों के सीएम से की बातचीत
लॉकडाउन खोलने को लेकर लव अग्रवाल ने कहा कि आज प्रधानमंत्री जी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत की. उन्होंने मुख्यमंत्रियों से कहा कि सजग रहें. सचेत रहें. रेड जोन और ऑरेंज जोन में पड़ने वाले सभी जिलों में सख्ती रखते हुए चैन ऑफ ट्रांसमिशन को तोड़ा जाए.
बता दें कि चीन से आयातित रैपिड टेस्ट किट को लेकर इसके वितरक और आयातक के बीच मुकदमेबाजी हो गई.मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है. इस दौरान एक खुलासा हुआ कि आईसीएमआर को बेची गई किट में बहुत मोटा मुनाफा कमाया गया है.
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रैपीड टेस्ट किट को लेकर हुआ खुलासा
इस किट की भारत में आयात लागत 245 रुपये ही है, लेकिन इसे ICMR को 600 रुपये प्रति किट बेचा गया है, यानी करीब 145 फीसदी के मोटे मुनाफे के साथ.रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट के एकमात्र डिस्ट्रीब्यूटर रेयर मेटाबोलिक्स ने आयातक मैट्रिक्स लैब्स के खिलाफ एक याचिका दाखिल की थी. मैट्रिक्स लैब्स ने इस किट को चीन के वोंडफो बायोटेक से आयात किया था.
Source : News Nation Bureau