विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर पाकिस्तान को आतंकवाद को लेकर खरी-खोंटी सुनाई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि सार्क के सभी देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय संबंध शानदार है, सिवाय एक देश को छोड़कर. उन्होंने कहा कि हमारा दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन South Asian Association for Regional Cooperation (SAARC) के सभी देशों के साथ हमारा मधुर संबंध है. रवीश कुमार ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर आतंकवाद को लेकर जमकर हमला किया. उन्होंने पाकिस्तान को घेरते हुए कहा कि जब आप सीमा पार से आतंकवाद भेजते हैं. तो क्षेत्रीय सहयोग पर इसका प्रभाव पड़ता है.
Raveesh Kumar, MEA: India enjoys excellent bilateral relationship with all the South Asian Association for Regional Cooperation (SAARC) countries except one. Regional corporation is adversely affected when you have cross border terrorism. pic.twitter.com/vvk3gRvhOd
— ANI (@ANI) January 30, 2020
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जब तक सीमा पार से आतंकवाद भेजना बंद नहीं करेगा, तबतक हमार द्विपक्षीय संबंध अच्छा नहीं हो सकता. वहीं 28 जनवरी 2020 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि बातचीत और आतंकवाद दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते. उन्होंने पाकिस्तान की धरती से भारत पर किए जा रहे हमलों के लिए जिम्मेदार आतंकवादी समूहों के खिलाफ देखने योग्य कदम उठाने को कहा था. भारत सीमापार आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि 2016 और 2019 में आतंकवादी हमले के खिलाफ की गई स्ट्राइक ने आतंकवाद को परास्त करने के देश के दृढ़ संकल्प को दिखाया है.
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इस दौरान राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्ली में रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान में 12वें दक्षिण एशिया सम्मेलन का उद्घाटन किया. रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत क्षेत्रीय शान्ति और सुरक्षा के लिए संयुक्त दृष्टिकोण विकसित करने के उद्देश्य से अपने पड़ोसियों के साथ बातचीत करता रहा है. उन्होंने दक्षिण एशिया सहयोग संगठन (सार्क) के सदस्य देशों से कहा कि वे आतंकवाद को परास्त करने के प्रयास में एकजुट हों. राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान को छोड़कर सार्क देशों ने एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने तथा सीमापार से आतंकवाद को समर्थन नहीं देने के सिद्धांतों का पालन किया है.
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रक्षा मंत्री ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि एकमात्र देश के व्यवहार और नीतियों के कारण सार्क की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं किया गया है. इस संबंध में उन्होंने 2015 में काठमांडू अधिवेशन में सार्क मोटर-वाहन समझौते को रोकने का उदाहरण दिया. 2014 में पिछला दक्षेस सम्मेलन काठमांडू में आयोजित हुआ था जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे. 2016 में दक्षेस सम्मेलन इस्लामाबाद में होना था. हालांकि उसी वर्ष 18 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के उरी स्थित एक सैन्य शिविर पर आतंकवादी हमले के बाद भारत ने 'मौजूदा हालात' के मद्देनजर सम्मेलन में हिस्सा लेने में असमर्थता जतायी थी.