केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद के उस बयान पर निशाना साधा है जिमें वरिष्ठ मंत्री ने कहा था कि केंद्र सरकार की दमनकारी नीति का सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता को भुगतना पड़ता है।
शुक्रवार को रविशंकर प्रसाद ने ग़ुलाम नबी आज़ाद के बयान पर कहा कि क्या कांग्रेस के नेता मोदी विरोध में इतना नीचे चले गए है की वो सेना के मनोबल को गिराना चाहते है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा है की सेना आतंकियों से ज्यादा आम आदमी को मार रही है, वो क्या संकेत दे रहे हैं? देश के लिए हम सभी जीते हैं लेकिन सेना के जवान देश के लिए मरते हैं।'
उन्होंने कहा, ''ग़ुलाम नबी आज़ाद ने ये बात कही जिन्होंने आतंकवाद देखा है। आज गुलाम नबी आज़ाद के बयान से सबसे ज्यादा खुश पाकिस्तान के लोग होंगे। आज कांग्रेस के नेता जो बोल रहे है उसका समर्थन लश्कर-ए-तैयबा कर रहा है। ये नई कांग्रेस है, जो देश के तोड़ने वाले ताकतों की मदद कर रही है।'
जम्मू-कश्मीर में मारे गए आतंकियों की संख्या का ज़िक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, '2012 में 72 और 2013 में 67 आतंकी मारे गए थे। जून 2014 में हमारी सरकार बनी जिसके बाद से सिर्फ जून में 110, 2015 में 108, 2016 में 150 और 2017 में कुल 217 आंतकियों को मारा गिराया गया। वहीं 2018 में मई महीने तक 75 आतंकी मार गिराए गए हैं। इसलिए आज़ाद साहब इन आंकड़ो में आप कांग्रेस और बीजेपी सरकार के कार्यकाल के बीच का अंतर समझ सकते हैं।'
प्रसाद ने कहा, 'कश्मीर को आज़ाद कर देना चाहिये ये कांग्रेस के नेता सैफ़ुद्दीन सोज़ ने कहा है। सोनिया और राहुल गांधी जवाब दें क्या वो इस तरह के बयान पर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करेंगे।'
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बता दें कि गुरुवार को जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ गठबंधन की सरकार से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अलग होने और राज्य में आतंकवादियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई के केंद्र सरकार के वादे पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि केंद्र सरकार की दमनकारी नीति का सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता को भुगतना पड़ता है। एक आतंकी को मारने के लिए 13 नागरिकों को मार दिया जाता है।
आज़ाद जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। एक समाचार चैनल से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि हाल के आंकड़ों पर गौर करें तो सेना की कार्रवाई नागरिकों के ख़िलाफ़ ज्यादा और आंतकियों के ख़िलाफ़ कम हुई है। घाटी में हालात बिगड़ने का मुख्य कारण यह है कि मोदी सरकार बातचीत करने की अपेक्षा कार्रवाई करने में ज्यादा यक़ीन रखती है। ऐसा लगता है कि वे हमेशा हथियार इस्तेमाल करना चाहते हैं।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, 'कार्रवाई को ऑपरेशन ऑल आउट कहना, यह स्पष्ट बताता है कि वे बड़े जनसंहार की योजना बना रहे हैं। गौर करने वाली बात है कि वे यह नहीं कहते कि इस मसले को बातचीत के जरिए हल किया जाएगा। जबकि पूरी दुनिया ने देखा कि अमेरिका और उत्तर कोरिया ने अपने मसले बातचीत से हल किए।'
आतंकियों द्वारा अगवा कर मारे गए सेना के जवान शहीद औरंगजेब के परिवार से मिलने रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार को उनके घर पहुंची थीं।
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इस पर सवाल उठाते हुए आज़ाद ने कहा, 'औरंगजेब के घर ही क्यों गईं रक्षामंत्री? हिंदू शहीदों के घर क्यों नहीं गईं? एक महीने के अंदर 29 जवान शहीद हुए, उन सबके घर क्यों नहीं गईं? औरंगजेब के घर जाना महज पब्लिसिटी स्टंट है। हमारे हिंदू भाइयों में भी औरंगजेब जैसी जान है। सिर्फ दिखावा कर रही है मोदी सरकार।'
उन्होंने कहा, 'कश्मीर की इस हालत के पीछे बड़ा कारण यह है कि जिस दिन से प्रधानमंत्री मोदी सत्ता में आए हैं, वो हमेशा एक्शन की बात करते हैं। इससे लगता है कि वह हमेशा बंदूक का उपयोग करना चाहते हैं। वह किसी संगठन या लोगों से बातचीत में यकीन नहीं रखते।'
आज़ाद ने कहा कि बीजेपी-पीडीपी सरकार के दौरान लोकल रिक्रूटमेंट बड़े स्तर पर होता रहा है। इस दौरान ज्यादातर नागरिक और सैनिक मारे गए। बीजेपी के साढ़े तीन साल के शासन में कश्मीरियत को तबाह कर दिया गया।
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के प्रभारी राम माधव का कहना है कि घाटी में जारी हिंसा को लेकर पीडीपी का रवैया उदासीनता का रहा। इसलिए बीजेपी ने समर्थन वापस लिया। धरती की जन्नत माने जाने वाले राज्य में अब राज्यपाल शासन लागू हो चुका है।
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Source : News Nation Bureau