बीजेपी ने दिल्ली की राशन व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर बड़ा हमला किया है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि अरविंद केजरीवाल हर घर अन्न की बात कर रहे हैं. ऑक्सीजन पहुंचा नहीं सके, मोहल्ला क्लीनिक से दवा तो पहुंचा नहीं सके. हर घर अन्न भी एक जुमला है. दिल्ली सरकार राशन माफिया के नियंत्रण में है. देश के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना चल रही है जबकि दिल्ली में इसे लागू नहीं किया जा रहा है. रविशंकर ने कहा कि दिल्ली सरकार से कई बार जानकारी मांगी गई लेकिन उसने जानकारी नहीं दी है.
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दिल्ली में POS मशीन से राशन क्यों नहीं?
बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल से सवाल किया कि देश के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना चल रही है. अभी तक इस पर 28 करोड़ पोर्टेबल ट्रांजेक्शन हुए हैं. देश में 86 फीसद राशन पॉस मशीन से ही दिया जा रहा जबकि कई प्रदेशों में 99 फीसद तक राशन इस प्रणाली से दिया जा रहा है. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जनवरी 2018 में पॉस का काम शुरू किया गया और अप्रैल में रोक दिया गया. हैरानी की बात है कि इस दौरान 4 लाख फर्जी राशन कार्ड पकड़े गए. रविशंकर ने आरोप लगाया कि राशन माफिया दिल्ली पर हावी हुए. दिल्ली सरकार से जब इसका कारण पूछा गया तो जवाब मिला कि टेक्नोलॉजी काम नहीं करती है. रविशंकर ने कहा कि कश्मीर से लेकर नागालैंड और हिमाचल व उत्तराखंड में इस तकनीक से राशन दिया जा रहा है जबकि देश की राजधानी में तकनीक का बहाना बनाया जा रहा है.
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राशन दुकानों का होगा ऑडिट
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि फूड सिक्यूरिटी बिल में इसका प्रावधान है कि राशन दुकानों का ऑडिट किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसका नोटिफिकेशन केंद्र में बीजेपी की सरकार आने से पहले 10 सितंबर 2013 को आया था. उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार ने इस बात की भी जानकारी नहीं दी है कि एससी एसटी को क्या प्राथमिकता दी है. दिल्ली सरकार से जब इसका जवाब मांगा गया तो कहा गया कि डाटा उपल्ब्ध नहीं है.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार देश भर में 2 रुपये प्रति किलो गेहूं, 3 रुपये प्रति किलो चावल देती है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत पिछले साल की तरह इस बार भी नवंबर तक गरीबों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है. चावल का खर्चा 37 रुपये प्रति किलो होता है और गेहूं का 27 रुपये प्रति किलो होता है. भारत सरकार सब्सिडी देकर प्रदेशों को राशन की दुकानों के माध्यम से बांटने के लिए अनाज देती है. भारत सरकार सालाना करीब 2 लाख करोड़ रुपये इसमें खर्च करती है.