किसान आंदोलन (Farmers Agitation) की आड़ में गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा. फिर उसे भड़काने और उकसावे वाले ट्वीट्स के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने ट्विटर के खिलाफ कड़ा रवैया अख्तियार कर लिया है. बुधवार को भारतीय अधिकारियों ने ट्विटर संग हुई बैठक में साफ कह दिया कि देश के कानून के हिसाब से ही काम करना होगा, तो गुरुवार को राज्यसभा में बोलते हुए केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने साफ-साफ कह दिया है कि भारत विरोधी ट्विटर (Twitter) अकाउंट बंद नहीं करने पर सोशल मीडिया साइट को सख्त अंजाम भुगतने पड़ेंगे. भारत सरकार पहले ही ट्विटर पर अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुकी थी क्योंकि देश में जारी किसानों के प्रदर्शनों के बीच कुछ 'उत्तेजक' ट्वीट्स को हटाए जाने के सरकार के आदेश का अनुपालन इसने नहीं किया था.
भड़काऊ बातें फैलाने पर कार्रवाई होगी
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्मो को चेतावनी देते हुए कहा कि फर्जी खबरें या भड़काऊ विषय सामग्रियों के फैलाए जाने पर उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी. संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने राज्यसभा में ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफार्मो को देश में व्यापार के दौरान भारतीय नियमों का पालन करने को कहा. उन्होंने अपने दिए बयान में कहा, 'बोलने की स्वतंत्रता बेशक है, लेकिन अनुच्छेद 19ए कहता है कि इसमें कुछ प्रतिबंध भी हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'हम सोशल मीडिया का बहुत सम्मान करते हैं, इसने आम लोगों को सशक्त बनाया है. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका है. हालांकि अगर फर्जी समाचार और हिंसा फैलाने के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया जाता है, तो भारत में सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर कार्रवाई की जाएगी.'
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सोशल मीडिया को भारतीय संविधान का पालन करना ही होगा
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मो को भारत के संविधान का पालन करना होगा. भारतीय संविधान, सरकार और प्रधानमंत्री की आलोचना करने की अनुमति देता है, लेकिन फर्जी खबर फैलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा, 'हमने ट्विटर और सोशल मीडिया के कुछ मुद्दों को चिन्हित किया है. अगर वे देश में व्यवसाय करना चाहते हैं, तो उन्हें भारतीय कानूनों का पालन करना होगा. विभिन्न देशों के लिए अलग-अलग मापदंडों की अनुमति नहीं दी जा सकती है. कैपिटल हिल की घटना और लाल किले की घटना के लिए मापदंड भिन्न नहीं हो सकते.' उन्होंने संसद में बताया कि सोशल मीडिया साइट्स को भारतीय कानूनों के लिहाज से जवाबदेह बनाने के लिए आईटी कानूनों में बकायदा संशोधन किया गया है. इन बदलाव के आलोक में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को तय की गई आचारसंहिता के अनुकूल ही काम करना होगा.
HIGHLIGHTS
- भारत में संविधान आलोचना और विरोध की आजादी देता है
- हालांकि अनुच्छेद 19 ए के तहत कुछ प्रतिबंध भी शामिल
- राज्यसभा में रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर को दी चेतावनी