अहमदाबाद की एक अदालत ने रविवार को राज्य के पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार और एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया. दोनों को शुक्रवार को फिर से अदालत में पेश किया जाना था. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने शनिवार को उन्हें पेश करने की अनुमति दी, क्योंकि पुलिस ने अदालत से अनुरोध किया कि वे जगन्नाथ यात्रा के कारण 1 जुलाई को व्यस्त हैं. इसके साथ ही गुजरात सरकार ने रविवार को एक स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) के गठन का भी फैसला लिया है. यह जांच टीम प्रदेश एटीएस डीआईजी दीपन भद्रन के नेतृत्व में काम करेगी.
स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम का गठन
गुजरात के पुलिस महानिदेशक आशीष भाटिया ने पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार, पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट और कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ जालसाजी और साजिश के आरोपों की जांच के लिए उप महानिरीक्षक दीपन भद्रन के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. एसआईटी की यह टीम तीस्ता सीतलवाड़, श्रीकुमार और आईपीएस संजीव भट्ट के खिलाफ उन मुकदमों की जांच करेगी, जिसके मुताबिक इन तीनों पर 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में झूठे बयान देने के आरोप हैं. एक महिला इंस्पेक्टर भी टीम का हिस्सा रहेगी. मामले की छानबीन सुप्रीम कोर्ट के हालिया दिशा-निर्देशों के मुताबिक होगी.
सीतलवाड़ ने पुलिस के रवैये की शिकायत की
हालांकि अदालत में पेशी के दौरान सीतलवाड़ ने शिकायत की कि उन्हें बिना किसी गिरफ्तारी वारंट के मुंबई से उठाया गया था और यह भी सवाल किया कि क्या प्राथमिकी के आधार पर उन्हें गिरफ्तार करना उचित है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उसे अपराह्न् 3 बजे से रात 10.30 बजे तक शनिवार को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया था और एक जालसाजी मामले के लिए गुजरात पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के लिए एक एटीएस टीम भेजी. उन्होंने यह भी कहा कि वह जांच टीम के साथ सहयोग कर रही है.
जिरह के बाद अदालत ने दी रिमांड
सीतलवाड़ का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता सोमनाथ वत्स और श्रीकुमार का अधिवक्ता एस.एम. वोरा ने किया. दूसरी ओर, विशेष लोक अभियोजक मितेश अमीन ने प्रस्तुत किया कि पुलिस को 14 दिनों के लिए उनकी हिरासत की आवश्यकता है, क्योंकि उन्हें इस बात की जांच करने की आवश्यकता है कि सीतलवाड़ के एनजीओ को कौन वित्त पोषित कर रहा था और कौन राज्य सरकार के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण अभियान चलाने के लिए उकसा रहा था. उन्होंने कहा कि पुलिस को यह जांच करने के लिए उनकी हिरासत की जरूरत है कि किसने उन्हें दस्तावेज बनाने में मदद की, किसने साजिश रची और क्यों, उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया को गुमराह करने के लिए यह सब किया.
HIGHLIGHTS
- पुलिस ने मांगी थी 14 दिन की रिमांड
- अदालत ने दी 2 जुलाई तक हिरासत