पुलवामा आतंकी हमले की जांच कर रही एनआईए (NIA) यह तथ्य खंगाल रही है कि कैसे और किस तरह से इतनी बडी मात्रा में RDX लाया गया. आशंका जताई जा रही है कि इस RDX को जम्मू से सड़क के रास्ते घाटी तक लाया गया. अभी तक इस बात के लिंक नहीं मिले हैं कि घाटी में मौजूद जैश के स्लीपर सेल ने RDX खरीदा या सप्लाई किया है. साफ है कि ये मिलिट्री ग्रेड RDX पाकिस्तान से ही आया था.
बीते साल सुरक्षा एजेंसियों ने जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर झझ्झर कोटली इलाके में हुए आतंकी हमले के बाद जांच में पाया था कि कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों के ट्रक ऑपरेटर पाकिस्तानी घुसपैठियों को पैसे के लिए ट्रक में छुपाकर जम्मू से कश्मीर ला रहे थे. पूछताछ में पुलवामा के रहने वाले रियाज अहमद नाम के एक ट्रक ड्राइवर ने खुलासा किया था कि पकड़े जाने से पहले वह 20 से ज्यादा पाक घुसपैठियों को छोटे-छोटे बैच में जम्मू से कश्मीर लाया था.
इस बात की आशंका जताई जा रही है कि ऐसे ही किसी मॉडयूल के जरिए RDX स्मगल किया गया और इस दौरान जैश के हैंडलर को गाड़ी का इंतेजाम करवाने का टाइम भी मिल गया. एनआईए इस ट्रक ड्राइवर से भी पूछताछ कर रही है. NIA की शुरुआती जांच में पुलवामा हमले के लिंक जैश के सरगना मसूद अजहर से जुड रहे हैं और जल्द ही पूरी साजिश का खुलासा हो जाएगा. मसूद अजहर के इशारे पर इस हमले का मास्टरमाइंड उसका भतीजा उमेर और IED एक्सपर्ट अबू बकर है. उमेर ने बाते साल सितंबर में कश्मीर में घुसपैठ की थी और वो इस समय साउथ कश्मीर में कहीं छुपा है.
जांच में पता चला है कि कश्मीर के अवंतीपुरा में ही जाकिर मूसा और जैश-ए-मोहम्मद के बेसकैंप हैं, जहां कश्मीरी छात्रों को ट्रेंड किया जा रहा है. वहीं से कश्मीर के बाहर देश के दूसरे राज्यों में आतंकवादियों को भेजा जा रहा है. पुलवामा से अवंतीपुरा तक का सफर सिर्फ 16 किलोमीटर है, जिसमें कई गांव आते हैं. इंटेंलीजेंस को मिली जानकारी के मुताबिक, इन्हीं गांवों में लोकल कश्मीरी लोग आतंकियों को पनाह देते हैं और उन्हें सुरंगों के जरिए अवंतीपुरा स्थित बेसकैंप में भेजते हैं, जिसको लेकर एजेंसियां इस रूट को ब्रेक करने की कोशिश में जुटी हैं.
पुलवामा हमले की जांच में पता चला है कि फिदायीन बम के तौर में इस्तेमाल की गई कार 2010-11 की ईको कार हो सकती है. हमले से पहले कार को दोबारा पेंट किया गया था. बताया जा रहा है हमले की जगह एक कैन भी मिला है, जिसमें 30 किलो RDX रखे होने की बात कही जा रही है. ईको कार के शॉक ऑब्जर्वर भी मिले है, जिससे यह पता चल जाएगा कि कार किस साल में बनी थी. एनआईए फिदायीन हमलावर आदिल के परिवार के डीएनए (DNA) सैंपल भी लेगी, जिससे हमले की जगह मिले खून के निशान से मैच कराया जाएगा. इससे एनआईए (NIA) को यह पता चल जाएगा कि हमले में शामिल आदिल कार में अकेले था या फिर कोई और भी उसके साथ शामिल था.
Source : News Nation Bureau