आज हम आपको 'बीमार' नोट के रिएलिटी टेस्ट के बारे में बताने जा रहे हैं। 'बीमार' इसलिए क्योंकि सरकारी गाइडलाइन के मुताबिक अस्पतालों, पेट्रोल पंपों और मेडिकल स्टोर्स में पुराने नोट 24 नवंबर रात 12 बजे तक ही चलेंगे, लेकिन क्या अस्पतालों में अभी भी पुराने नोट लिए जा रहे हैं? इस हकीकत को जानने के लिए न्यूज़ नेशन की टीम ने कई अस्पतालों का रिएलिटी चेक किया।
गुजरात अस्पताल:
सबसे पहले पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात की बात करते हैं। यहां के सबसे बड़े वीएस अस्पताल को अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन चलाता है, लेकिन यहां तमाम सुविधाएं हैं। लिहाज़ा कोई भी बीमारी हो, लोग दूर-दराज़ से भी इलाज के लिए यहां आते हैं। मरीज़ों और उनके रिश्तेदारों से बात करने से पहले हमने अस्पताल के संचालक से पूछा कि क्या वो पुराने 100 और 500 के नोट स्वीकार कर रहे हैं तो उन्होंने पुराने नोटों के इस्तेमाल का भरोसा दिलाया। वहीं, जब अस्पताल के काउंटर पर पहुंचे तो यह बात सच साबित हुई। ऐसे में वीएस हॉस्पिटल इस रिएलिटी चेक में पास हो गया।
दिल्ली का अस्पताल:
अब बात करते हैं देश की राजधानी दिल्ली की। यहां के राममनोहर लोहिया अस्पताल में रिएलिटी चेक किया गया। यहां अफरा-तफरी का माहौल था। मरीजों के परिवारवालों की काफी भीड़ थी। सभी के एक हाथ में फॉम तो दूसरे हाथ में 500 और 1000 के नोट थे। लोगों की बातों से साफ था कि इस रिएलिटी टेस्ट में आरएमएल हॉस्पिटल को पूरे नंबर मिले।
जयपुर का अस्पताल:
अब हम आपको बताते हैं जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल के बारे में, यहां कैसी हालत है, क्या मरीजों के रिश्तेदार यहां पुराने नोट खरीद पा रहे हैं, क्या उन्हें दूसरे पेमेंट करने में कोई दिक्कत आ रही है..? इस अस्पताल में रोजाना सैकड़ों मरीज़ आते हैं। ऐसे में 500 और 1000 के पुराने नोट बंद होने से दिक्कत होना लाज़िमी है।
यहां स्थित एक मेडिकल शॉप में पुराने नोट तो लिए जा रहे हैं, लेकिन समस्या यह है कि अगर कोई ग्राहक दो हज़ार के नए नोट लेकर दवाई खरीदने आता है तो उसे वापस करने के लिए खुल्ले पैसों की कमी हो रही है। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि अभी भी कई दवाई दुकानों और जांच घर में पुराने नोट नहीं लिए जा रहे हैं। यहां कतार में खड़े लोगों ने कहा कि उन्हें नोटबंदी के बाद दिक्कत तो हो रही है, लेकिन देश की भलाई के लिए यह सही फैसला है।
लखनऊ अस्पताल:
सरकारी अस्पतालों का रिएलिटी टेस्ट के बारे में तो पता चल गया, अब लखनऊ के एक प्राइवेट दवा दुकान में चलते हैं। यहां दवाई खरीदने आ रहे लोगों से बात की गई। यहां लोगों की मदद की जा रही है, लेकिन खुले पैसे न होने की वजह से कभी-कभी परेशानी हो रही है।