लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार में बागियों ने कई सीटों का खेल बिगाड़ दिया है तो कई सीटों में अपनी गेम सेट कर लिया है. बिहार में इस बार सीधा मुकाबला एनडीए बनाम महागठबंधन से है बिहार की 40 लोकसभा सीटों की लड़ाई में ज्यादातर दलों के नेताओं ने एक-दूसरे की विपक्षी पार्टियों का दामन थाम लिया है. जिसके चलते बिहार की कुछ लोकसभा सीटों पर मुकाबले का एक और एंगल दिखाई दे रहा है. इन सीटों पर जिन नेताओं के टिकट कट गए हैं वो बागी हो गए हैं जो कि सीट अपने दम पर जीतने का दावा कर रहे है. कुछ नेताओं ने अपनी पार्टी ही खड़ी कर ली है. इस चुनाव में ये नेता अपना अलग दम-खम रखते हैं जो किसी दोनों में से किसी भी गठबंधन का खेल बना और बिगाड़ सकते हैं.
टिकट कटने के बाद बिगड़ा राजनीतिक दलों का खेल
मौजूदा आम चुनाव में गठबंधनों का ऐसा समीकरण बना कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल जैसी पार्टियों को भी कम सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ रहा है. जिसके चलते कई प्रमुख नेताओं के टिकट भी काट दिए गए हैं. बिहार में बीजेपी नीतीश के पार्टी को समायोजित करने के चक्कर में अपने 5 वर्तमान सांसदों (सतीश चंद्र दूबे, गया से, सीवान से ओमप्रकाश यादव वाल्मीकि नगर से हरि मांझी, गोपालगंज से जनक राम और झंझारपुर से बीरेन्द्र कुमार चौधरी) के टिकट काट दिए. वहीं राष्ट्रीय जनता दल में भी कांति सिंह, सीताराम यादव, आलोक मेहता और अली अशरफ फातमी तो कांग्रेस में लवली आनंद, शकील अहमद और निखिल कुमार जैसे नेताओं के टिकट काट दिए गए हैं, इनमें से कई बागी या तो मैदान में उतर गए हैं या फिर नए कैंडिडेट के खिलाफ पार्टी में रहकर ही साइलेंट अटैक पर उतर आए हैं.
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मधुबनी में शकील अहमद बनेंगे महागठबंधन के लिए मुसीबत
बिहार की मधुबनी सीट से महागठबंधन ने वीआईपी पार्टी के बद्री पुर्बे को उम्मीदवार बनाया तो सहयोगी दलों कांग्रेस और आरजेडी में ही बगावत हो गई. आरजेडी यहां से अशरफ फातमी को टिकट देना चाहती थी तो वहीं कांग्रेस के पूर्व सांसद शकील अहमद के लिए टिकट चाहती थी लेकिन उन्होंने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा देकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने का फैसला किया है. अगर ये दोनों नेता चुनाव मैदान में उतरते हैं तो महागठबंधन के उम्मीदवार के लिए राह बहुत कठिन हो जाएगी. वहीं बीजेपी ने इस सीट से अशोक यादव को मैदान में उतारा है, जोकि दिग्गज नेता हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे हैं.
पटना साहिब में शत्रुघ्न सिन्हा बढ़ाएंगे रविशंकर प्रसाद की मुश्किलें
पटना साहिब को बिहार के कायस्थ वोटों का गढ़ कहा जाता है. बीजेपी के बागी शत्रुघ्न सिन्हा अब वहां से कांग्रेस के टिकट पर उतरे हैं उनके सामने बीजेपी के उम्मीदवार केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद हैं. पिछले दिनों टिकट मिलने के बाद जब रविशंकर प्रसाद पटना पहुंचे तो उन्हें सिन्हा के समर्थकों की नाराजगी झेलनी पड़ी थी. ऐसे में उनके लिए यह मुकाबला आसान नहीं होगा.
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पुतुल देवी बांका में बढ़ा रहीं हैं NDA की मुश्किल
दक्षिण बिहार की बांका सीट से पुतुल देवी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतर रही हैं. वो पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की पत्नी हैं टिकट न मिलने से वो निर्दलीय ही मैदान में उतरीं हैं NDA ने यहां से जेडीयू नेता गिरधारी यादव को उतारा है. इस सीट पर आरजेडी जय प्रकाश यादव मौजूदा सांसद हैं जो प्रचंड मोदी लहर में भी जीतकर संसद पुहंचे थे. साल 2010 में दिग्विजय सिंह की मौत के बाद पहली बार उनकी पत्नी पुतुल देवी उपचुनाव में सांसद बनीं थी. बाद में वो बीजेपी में शामिल हो गईं, और 2014 में दूसरे नंबर पर रहते हुए महज 10 हजार वोटों से हारी थीं. अब वे एनडीए के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ ही मैदान में हैं.
बाहुबली नेता पप्पू यादव मधेपुरा में लड़ रहे हैं त्रिकोणीय मुकाबला
मधेपुरा लोक सभा चुनावी क्षेत्र से मौजूदा सांसद बाहुबली नेता पप्पू यादव की राह इस बार आसान नहीं होगी. पिछले चुनाव में प्रचंड मोदी लहर के बावजूद पप्पू यादव इस सीट जीतकर संसद पहुंचे थे जबकि इस बार आरजेडी ने शरद यादव और एनडीए की ओर से जेडीयू के दुलार चंद यादव मैदान में हैं. पिछले चुनाव में पप्पू यादव को 3 लाख 68 हजार 937 वोट मिले थे. तब जेडीयू के टिकट पर वहां से शरद यादव लड़े थे. उन्हें 3 लाख 12 हजार 728 वोट मिले थे. बीजेपी के विजय कुमार सिंह 2 लाख 52 हजार 534 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे.
Source : News Nation Bureau