राजस्थान के उदयपुर में तीन दिवसीय चिंतन शिविर में कांग्रेस ने संगठन को मजबूत करने के लिए पचास फीसदी पदो में युवाओं को लाने का फैसला किया. इसके बाद से ये अनुमान लगाया जा रहा था कि अब कांग्रेस में उम्रदराज नेताओं को किनारे कर दिया जायेगा. कांग्रेस में ऐसे नेताओं को ओल्डगार्डस कहा जाता है. ये बुजुर्ग नेता पार्टी के अंदर सोनिया गांधी की सरपरस्ती में रहते हैं और इनकी राहुल गांधी -प्रियंका गांधी की टीम से दूरी जगजाहिर है.
कांग्रेस अपने नेताओं के लिए रिटायरमेंट उम्र की सीमा फिलहाल तय नहीं करेगी. संगठन में हर स्तर पर 50 फीसदी पद 50 साल के नीचे के नेताओं को दिया जाना तय होने के बाद अब रिटायरमेंट उम्र का विचार पार्टी ने छोड़ दिया है. पार्टी का तर्क है कि चूंकि 50 फीसदी पद अब युवाओं को देना ही है तो ऐसी सूरत में अगर उम्र सीमा तय कर दी जाएगी तो अनुभवी लोगों के लिए रास्ते एकदम बंद हो जाएंगे.
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गौरतलब है कि पार्टी की युवा मामलों की कमेटी ने उदयपुर चिंतन शिविर में 65 साल से ज्यादा की उम्र के नेताओं को सक्रिय राजनीति से रिटायर करने की अनुशंसा की थी, लेकिन 50 फीसदी पद युवाओं के लिए आरक्षित होने के बाद फिलहाल इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी खुद 76 साल की हैं. राज्यसभा में पार्टी के नेता खड़गे 79 साल के हैं. गुलाम नबी आजाद, पी चिदंबरम, दिग्विजय सिंह और अंबिका सोनी सहित कई नेता उम्रदराज हो चुके हैं जिन पर रिटायरमेंट की तलवार लटक रही थी. हालांकि अब ये सक्रिय राजनीति में रह सकते हैं.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कमलनाथ जैसे नेता जो अपने-अपने राज्यों में मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं, कि उम्र भी 70 साल पार हो चुकी है. कांग्रेस में उम्र के आधार पर कोई रिटायरमेंट भले ही न हो, लेकिन परफॉर्मेंस के आधार पर पद से जबरन छुट्टी जरूर हो जाएगी.
पार्टी ने तय किया है कि दिल्ली में बैठने वाले संगठन महासचिव हर पदाधिकारी के कार्य की समीक्षा करेंगे और बेहतर कार्य करने वाले को इनाम मिलेगा, लेकिन खराब काम करने वाले नेता की पद से छुट्टी की जायेगी. उदयपुर चिंतन शिविर के बाद पार्टी बड़े बदलाव करने जा रही है, जिसके तहत कई बड़े कदम उठाए जा रहे हैं.