सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) का तीन साल का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा रहा. जनरल रावत (General Rawat) के कार्यकाल में सेना (Indian Military) काफी आक्रामक रही. इस दौरान सेना को खुला हाथ दिया गया और सेना ने कई अहम चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया. जनरल रावत के कार्यकाल में सेना ने जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) और पूर्वोत्तर में आतंकियों की कमर तोड़कर रख दी. इसके अलावा जनरल रावत के कार्यकाल में सैनिकों की कई अहम समस्याओं को हल किया गया. जनरल रावत अकसर सैनिकों के साथ खड़े रहे. उनकी उपलब्धियों को देखते ही सरकार ने उन्हें देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में नियुक्त किया है.
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2016 में पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हुई सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) के मुख्य रणनीतिकार जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ही थे. इसकी तैयारी से लेकर क्रियान्वयन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई. तब उनकी हैसियत उपसेनाध्यक्ष की थी. इसके बाद उन्हें सेनाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई. कश्मीर में ऑपरेशन ऑलआउट (OPeration All Out) के तहत उनके सेनाध्यक्ष रहते सुरक्षाबलों ने करीब 400 आतंकियों को मौत के घाट उतारा.
जनरल रावत ने कश्मीर में सेना को खुला हाथ दिया, जिसके बल पर सेना ने मजबूती से आतंकियों और पत्थरबाजों के खिलाफ कार्रवाई की. इससे सैनिकों का हौसला बढ़ा और सेना आक्रामक हुई. कई बार पाक अधिकृत कश्मीर में घुसे बगैर सेना ने सैन्य शिविरों के खिलाफ कार्रवाई की जिसमें दर्जनों आतंकी और दर्जनों पाक सैनिक मारे गए. जनरल रावत जब पूर्वी कमान के प्रमुख थे तो म्यांमार में छुपे आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई थी.
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सैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिए भी जनरल रावत तत्पर रहे. उनके कार्यकाल में सैनिकों की समस्याओं पर त्वरित कार्रवाई के लिए एक मोबाइल ऐप लांच किया गया. दिव्यांगता पेंशन, पेंशन विसंगतियों आदि मुद्दों पर सुधार की कवायद की गई. जनरल रावत एक बार नहीं बल्कि कई मौकों पर सियाचिन एवं नियंत्रण रेखा पर जाकर सैनिकों का उत्साहर्वधन करते रहे.
इसके अलावा कश्मीर में जब अनुच्छेद-370 के प्रावधान हटाए गए तो जनरल रावत के नेतृत्व में सेना ने बड़ी सूझबूझ से काम लिया और कोई बड़ी अनहोनी नहीं होने दी. जनरल रावत ने सेना को उच्चस्तरीय रायफलें, बुलेट प्रूफ जैकेट, अपाचे हेलीकाप्टर आदि उपलब्ध कराने की दिशा में पहल की जो अब क्रियान्वित होने जा रही हैं. अपने कार्यकाल के आखिर में जनरल रावत ने सैनिकों की सेवानिवृत्ति की उम्र 58 साल करने की अहम सिफारिश भी की.
Source : News Nation Bureau