सिक्किम सेक्टर पर जारी विवाद को लेकर चीन ने एक बार फिर से सैनिकों को वापस बुलाने की चेतावनी देते हुए कहा कि भारत को अपनी सैन्य क्षमता पर ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में विश्लेषकों के हवाले से कहा गया है कि भारत को यह नहीं समझना चाहिए कि चीन उससे डर रहा है और वह संप्रभुता के मामले में किसी तरह से समझौता करने जा रहा है। ग्लोलब टाइम्स को चीन की सरकार का मुखपत्र माना जाता है।
विश्लेषकों के हवाले से लिखी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और भारत की सैन्य क्षमता में बड़ा अंतर है और यह 1962 के मुकाबले ज्यादा बड़ा है जब दोनों देशों की सेना सीमा पर आपस में भिड़ी थी। इस बीच भारत ने साफ कर दिया है कि दोनों देशों के बीच जारी गतिरोध सिर्फ और सिर्फ कूटनीति से ही सुलझाई जा सकती है।
चीन की धमकी पर बोला भारत, गतिरोध कूटनीति से सुलझेगा
खबर में कहा गया है कि भारत और चीन के बीच 1967 और 1987 में भी सीमा पर झड़प हुई थी लेकिन यह दोनों 1962 जैसा बड़ा नहीं था। पिछले 19 दिनों से जारी सैन्य गतिरोध का अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है। चीन भारत पर आरोप लगा रहा है कि भारतीय सेना ने कथित रूप से उसके इलाके में घुसपैठ की है। रिपोर्ट में लिखा गया है कि चीन इस मसले का कूटनीतिक तौर पर समाधान निकालने की कोशिश कर रहा है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'हम एक बार फिर से भारत से चीन की संप्रभुता का सम्मान करते हुए सुरक्षा बलों को वापस बुलाए जाने की मांग करते हैं, जिन्होंने सीमा को लांघा है।' इससे पहले नई दिल्ली में चीन के राजदूत ने कहा था, 'इस मामले में गेंद अब भारत के पाले में है।' उन्होंने कहा था, 'चीन की तरफ से इस मामले में समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन धैर्यपूर्वक ऐतिहासिक सबूतों की मदद से भारत के साथ बातचीत करने की कोशिश कर रहा है लेकिन भारतीय सेना के अधिकारी राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़काते हुए युद्ध की तैयारी कर रहे हैं।
रिपोर्ट में भारतीय सेना प्रमुख के ढाई मोर्च पर तैयार होने के बयान का जिक्र करते हुए कहा गया है कि भारत को 1962 की लड़ाई से मिले सबक को नहीं भूलना चाहिए, जिसमें चीन को भारी जीत मिली थी। इसके बाद रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि चीन को याद रखना चाहिए कि भारत अब 1962 का नहीं है, जिसके जवाब में चीन ने कहा था कि वह भी अब 1962 का देश नहीं है।
शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के रिसर्च स्कॉलर हू जियोंग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा, '1962 में जन मुक्ति सेना ने भारतीय सेना के खिलाफ बड़ी जीत हासिल की थी। आज की स्थिति बहुत अलग है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि भारत ऐसा कुछ नहीं करेगा, जो उसके हित में नहीं है वरना उसे अतीत के मुकाबले ज्यादा कीमत चुकानी होगी।'
उन्होंने कहा, 'न केवल सेना के स्तर पर बल्कि आर्थिक और तकनीक के स्तर पर भारत और चीन के बीच कोई मुकाबला नहीं है। हमारा भारत के साथ कोई बैर नहीं है और हम भारत के साथ बेहतर संबंध रखना चाहते हैं। शांतिपूर्ण समझौते के लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं, अगर भारत कोई इस मामले में दरवाजा नहीं बंद करता है।'
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HIGHLIGHTS
- चीन की सरकारी मीडिया ने एक बार फिर से सीमा विवाद को लेकर भारत को चेताया है
- ग्लोबल टाइम्स में छले लेख में कहा गया है कि इस बार की जीत 1962 की जीत से बड़ी होगी
Source : News Nation Bureau