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आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण लोगों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने के मोदी सरकार के फैसले पर विपक्ष को न निगलते बन रहा न उगलते. अगर बात करें भारत में आरक्षण की तो इसका इतिहास काफी पुराना है. आजादी के पहले और बाद में जानें कब-कब हुई आरक्षण की मांग..
आजादी से पहले
- 1932 पूना पैक्ट- शोषित और दबे-कुचले तबके के लिए प्रदेश की विधानसभाओं में 148 सीटें और केंद्र में 18 प्रतिशत सीटें आरक्षित
- 1937- समाज के कमजोर तबके के लिए सीटों के आरक्षण को गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट में शामिल किया गया, भारतीय राज्यों में स्वशासन के अलावा संघीय ढांचे को बनाने के लिए (जिसमें रियासतें शामिल) ब्रिटिश शासकों ने कानून बनाया, इस ऐक्ट के साथ ही शेड्यूल्ड कास्ट्स (अनुसूचित जातियां) का इस्तेमाल शुरू हुआ
- 1942- डॉ. बाबासाहब भीमराव आंबेडकर ने ब्रिटिश सरकार से नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण की उनकी मांग मानने को कहा
- 1947- कंस्टिटूएंट असेंबली में एससी- 6.5% और ब्राह्मण- 45.7%
आजादी के बाद
- 1950- संविधान में एससी/एसटी जातियों के संरक्षण के लिए प्रावधान सुनिश्चित
- 1953- अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) की पहचान के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग (बैकवर्ड क्लास कमिशन) का गठन
- 1963- सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में व्यवस्था दी कि आरक्षण 50 प्रतिशत से ऊपर नहीं हो सकता
- 1978- शोषित जातियों को आरक्षण पर विचार करने के लिए मंडल आयोग का गठन, आयोग ने अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) को 27% आरक्षण का सुझाव दिया
- 1989- तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने सरकारी नौकरियों में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने का ऐलान किया, देशभर में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन
- 1992- सुप्रीम कोर्ट ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण बरकरार रखा, कहा क्रीमी लेयर इस दायरे से बाहर रहनी चाहिए, 9 जजों की बेंच ने 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा तय की
- 1995- आर्टिकल 16 में 77वें संविधान संशोधन के तहत एससी-एसटी को प्रमोशन में आरक्षण जारी रखने की इजाजत
- 1997- संविधान में 81वां संशोधन, बैकलॉग आरक्षित वेकन्सी को अलग समूह में रखने को मंजूरी, 50 प्रतिशत की सीमा से बाहर
यह भी पढ़ेंः आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की राह काफी मुश्किल, जानें कब-कब हुआ है खारिज
- 2000- आर्टिकल 335 में प्रावधान करते हुए 82वां संविधान संशोधन, प्रमोशन में एससी/एसटी उम्मीदवारों को छूट, बाद में इन सभी संशोधनों की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
- 2006- सुप्रीम कोर्ट ने संशोधनों को हरी झंडी दी, राज्यों को आरक्षण का प्रावधान करने से पहले वजह बतानी होगी
- 2007- उत्तर प्रदेश में नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण की शुरुआत2011- सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया
- 2012- हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, सरकार की दलीलें खारिज करते हुए फैसला बरकरार, अदालत ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार जाति के आधार पर कर्मचारियों के आरक्षण को उचित ठहराने के लिए पर्याप्त डेटा पेश करने में नाकाम रही
आरक्षण संशोधित बिल लोकसभा में पास, पक्ष में पड़े 323 वोट
Source : News Nation Bureau
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