रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति के ऐलान से पहले एक बड़ी खबर सामने आई है. जानकारी के मुताबिक, सेंट्रल बैंक के टॉप अधिकारियों ने नए बैंकों को फिलहाल लाइसेंस नहीं जारी करने का फैसला लिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, रिजर्व बैंक के बोर्ड ऑफ फाइनेंशियल सुपरविजन में यह फैसला किया गया है.
बैंक के टॉप मैनेजमेंट ने सैद्धांतिक तौर पर नए लाइसेंस नहीं दिए जाने का फैसला किया है. उम्मीद की जा रही है कि अगले 2-3 सालों तक नए बैंकों को लाइसेंस जारी नहीं करने पर सहमति बनी है. फाइनेंशियल सुपरविजन बोर्ड ने बैंकों की वर्तमान हालत को देखते हुए यह फैसला लिया है. नए लाइसेंस प्राप्त बैंकों की हालत देखने के बाद RBI इस दिशा में सोचने के लिए मजबूर हो गया.
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बता दें, जब रघुराम राजन रिजर्व बैंक के गवर्नर थे, तब उन्होंने 'ऑन टैप' का नियम लाया था. इसके तहत कभी भी बैंकों को लाइसेंस जारी करने की नीति अपनाई गई.
नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कॉरपोरेशन (NBFC) और बैंक मर्जर को लेकर सेंट्रल बैंक केस-टू-केस बेस पर फैसला लेगा. बता दें, IDFC बैंक, बंधन बैंक को 2015 में फुल बैंक का लाइसेंस मिला था. IDFC बैंक का आखिरकार Capital First के साथ मर्जर करना पड़ा.
Source : News Nation Bureau