स्वतंत्र पत्रकारिता (Independent Journalism) लोकतंत्र (Democracy) की रीढ़ है और पत्रकार (Journalist) लोगों की आंख और कान हैं. ये बातें भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना (NV Ramana) ने मंगलवार को कही. गुलाब चंडो कोठारी (Gulab Chand Kothari) द्वारा लिखित 'गीता विज्ञान उपनिषद' नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि तथ्यों को प्रस्तुत करना मीडिया घरानों की जिम्मेदारी है खासकर भारतीय सामाजिक परिदृश्य में. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, लोग अभी भी मानते हैं कि जो कुछ भी छपा है वह सच है.
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मुख्य न्यायाधीश ने कहा, मीडिया को खुद को ईमानदार पत्रकारिता तक ही सीमित रखना चाहिए". आपातकाल के काले दिनों में केवल मीडिया घरानों के पास व्यावसायिक खेमा नहीं था, जो लोकतंत्र के लिए लड़ने में सक्षम थे. मीडिया घरानों की वास्तविक प्रकृति का निश्चित रूप से समय-समय पर आकलन किया जाएगा और परीक्षण के समय उनके आचरण से उचित निष्कर्ष निकाला जाएगा. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि मीडिया को अपने प्रभाव और व्यावसायिक हितों का विस्तार करने के लिए एक उपकरण के रूप में इसका उपयोग किए बिना खुद को ईमानदार पत्रकारिता तक सीमित रखना चाहिए. उन्होंने कहा, स्वतंत्र पत्रकारिता लोकतंत्र की रीढ़ है. पत्रकार जनता के आंख-कान होते हैं. विशेष रूप से भारतीय सामाजिक परिदृश्य में तथ्यों को प्रस्तुत करना मीडिया घरानों की जिम्मेदारी है. लोग अब भी मानते हैं कि जो कुछ भी छपा है वह सच है.