चालू वित्तवर्ष में कुल व्यय में राजस्व व्यय का अनुपात 85.6 फीसदी होने का अनुमान है, 2018-20 में अनुमानित रूप से समान होना चाहिए और 2019-20 में इसमें 85 फीसदी की कमी हो सकती है। यह जानकारी गुरुवार को लोकसभा में पेश की गई मध्यकालिक व्यय फ्रेमवर्क (एमटीईएफ) में दी गई है।
मध्यकालिक व्यय फ्रेमवर्क वक्तव्य एक राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम, 2003 की धारा 3 के तहत संसद में प्रस्तुत किया एक बयान है जो व्यय के लिए तीन साल का लक्ष्य निर्धारित करता है।
राजस्व व्यय के प्रमुख घटक में वेतन, पेंशन, रक्षा, व्यय भुगतान और सब्सिडी पर खर्च शामिल हैं।
चालू वित्तवर्ष के दौरान, यह आशा की जाती है कि 7वें वेतन आयोग द्वारा अनुशंसित गृह किराया भत्ता (एचआरए) की वृद्धि से शेष आठ महीनों में वेतन पर 11,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा।
मध्यकालिक व्यय फ्रेमवर्क में वेतन अनुमान 2018-19 में 1,38,122 करोड़ रुपये और 2019-20 में 1,49,457 करोड़ रुपये में रखा गया है।
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पेंशन के संबंध में अनुमान लगाया गया है कि वित्तवर्ष 2018-19 में पेंशन प्रतिबद्धताओं में लगभग 10 फीसदी और 2019-20 में 8 फीसदी की वृद्धि होगी। वित्तवर्ष 2017-18 में 1,31,201 करोड़ रुपये पेंशन मद में व्यय होंगे, जो क्रमश: 2018-19 और 2019 20 में 1,44,321 करोड़ रुपये और 1,55,867 करोड़ रुपये हो जाएंगे।
ब्याज भुगतान केंद्र के राजस्व व्यय का सबसे बड़ा घटक है। 2017-18 के बजट अनुमान में, ब्याज भुगतान का अनुमान 5,23,078 करोड़ रुपये लगाया गया है, जो केंद्र सरकार के कुल व्यय का 24 फीसदी है। यह सकल कर राजस्व का 27 फीसदी है।
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साल 2013 के अगस्त में संसद के मानसून सत्र में पहली बार मध्यकालिक व्यय फ्रेमवर्क प्रस्तुत किया गया था।
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Source : IANS